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अव्यवस्था को लेकर सांसद कौशल किशोर ने सीएम को लिखा पत्र

मोहनलालगंज से सांसद कौशल किशोर ने कोविड अस्पताल में अव्यव्यस्था को लेकर मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी है. सांसद ने कहा कि केजीएमयू में सैकड़ों ऑक्सीजन युक्त बेड खाली पड़े हैं जिन पर मरीजों की भर्ती नहीं की गई. जबकि पूरा केजीएमयू कोविड-19 हॉस्पिटल घोषित किया गया है.

सांसद कौशल किशोर
सांसद कौशल किशोर

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Published : Apr 27, 2021, 3:46 AM IST

लखनऊः मोहनलालगंज से बीजेपी सांसद कौशल किशोर ने केजीएमयू और बलरामपुर कोविड अस्पताल में अव्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी है. उन्होंने कहा है कि केजीएमयू में आईसीयू बेड खाली पड़े हैं. बलरामपुर अस्पताल में 20 वेंटिलेटर बेड में सिर्फ 5 वेंटिलेटर काम कर रहे हैं, लेकिन आम जनता के लिए उपलब्ध नहीं हैं. सांसद ने लापरवाही बरतने वाले डक्टरों के खिलाफ मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर उचित कार्रवाई करने की बात कही है.

केजीएमयू में सैकड़ों ऑक्सीजन युक्त बेड खाली
सांसद ने कहा कि केजीएमयू में सैकड़ों ऑक्सीजन युक्त बेड खाली पड़े हैं. इनपर मरीजों की भर्ती नहीं की गई जबकि, पूरा केजीएमयू कोविड-19 हॉस्पिटल घोषित किया गया है. बलरामपुर अस्पताल में लगभग 20 वेंटीलेटर हैं, जिसमें से केवल पांच काम कर रहे हैं बाकी को चालू नहीं किया गया, जबकि एडमिट होने वाले मरीज परेशान हैं. इन अस्पतालों की लापरवाही के चलते सरकार की छवि को नुकसान हो रहा है. ऐसा लगता है कि जानबूझकर सरकार की छवि धूमिल की जा रही है. मुख्यमंत्री से आग्रह है कि इसकी जांच कराकर दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की करें.

मीडियाबाजी में मस्त रहते हैं डॉक्टर
सांसद ने चिट्टी में लिखा है कि उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान केजीएमयू के कुलपति 5 अप्रैल को कोविड की रिपोर्ट पॉजिटिव होने के बाद लंबे अवकाश पर चले गए. केजीएमयू कोविड के गंभीर इलाज के मुख्य रूप से रेस्पाई रेट्री मेडिसिन एवं पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसीन की मुख्य भूमिका है. लेकिन इनके विभागाध्यक्षों द्वारा पिछले एक वर्ष में कभी कोविड वार्ड में अन्य प्रोफेसरों की भांति ड्यूटी नहीं की और पूरा दिन मीडियाबाजी में व्यस्त रहे.

जूनियर डॉक्टरों की देखरेख में हो रहा मरीजों का इलाज
केजीएमयू पल्मोनरी क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग भी करोड़ों उपकरणों से बना हुआ है लेकिन, सांस से पीड़ित आम जनता के स्थान पर रजायाफ्ता अन्य मरीजों का आरामगाह बना हुआ है. इस विभाग में दो टीचर हैं, जिसमें एक सलाहकार हैं और दूसरे मीडिया बाजी में व्यस्त रहते हैं और मरीजों को जूनियर डॉक्टरों के भरोसे देखरेख में छोड़ रखा है.

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