लखनऊ :बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है. हालांकि उन्हें देश के सभी राज्यों की कमान नहीं सौंपी है. दो ऐसे बड़े राज्य अपने पास रखे हैं जिन पर मायावती शासन कर चुकी हैं. साल 2000 से पहले उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश एक ही थे. मायावती मुख्यमंत्री रहीं थीं. बाद में उत्तराखंड तो अलग हो गया लेकिन मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनती रहीं. यही दो राज्य मायावती ने अपने पास रखे हैं जबकि देश के 26 राज्यों की कमान अपने भतीजे आकाश आनंद को सौंप दी है. ऑल इंडिया बहुजन समाज पार्टी की बैठक में मायावती ने यह फैसला लिया है.
चंद्रशेखर आजाद की लोकप्रियता कम करने का प्रयास :राजनीतिक जानकार मानते हैं कि मायावती ने आकाश आनंद को जिम्मेदारी इसलिए दी है जिससे आजाद समाज पार्टी के सर्वेसर्वा चंद्रशेखर आजाद की दलितों के बीच बढ़ती लोकप्रियता को कम किया जा सके. मायावती इससे दलित समाज को यह भी संदेश देना चाहती हैं कि बहुजन समाज पार्टी के पास युवा के रूप में विकल्प मौजूद हैं. जो चंद्रशेखर आजाद से कहीं ज्यादा बेहतर हैं. युवा आकाश आनंद के साथ जुड़ेंगे, इससे बहुजन समाज पार्टी मजबूत होगी. चंद्रशेखर आजाद लगातार दलितों के बीच जा रहे हैं जिससे बहुजन समाज पार्टी से दलित वर्ग छिटकता नजर आ रहा है. मायावती अब जमीन पर ज्यादा उतरती नहीं हैं. काफी कम रैलियां भी करती हैं. लोगों के बीच भी न के बराबर ही जाती हैं. ऐसे में अब आकाश आनंद यह दायित्व बेहतर तरीके से निभा सकते हैं. जब वे लोगों के बीच जाएंगे तो पार्टी की पैठ बढ़ेगी और इसका फायदा पार्टी को मिलेगा.
बसपा के वोट प्रतिशत में आई गिरावट :उत्तर प्रदेश जैसे राज्य की बात करें तो बहुजन समाज पार्टी के गिरते ग्राफ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 22 फीसद वोट हासिल करने वाली बसपा अब सिर्फ 11% पर ही रह गई है. देश के तमाम राज्यों में उसकी स्थिति सही नहीं है. राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के चुनाव में भी पार्टी को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिल पाई है. लोकसभा चुनाव से पहले आकाश को दायित्व सौंपकर मायावती ने ऐसा करके एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेला है. पार्टी कार्यालय पर आयोजित बैठक में मायावती ने पार्टी पदाधिकारियों को लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाने के लिए कहा, साथ ही उन्होंने फिक्र जताई कि सभी राजनीतिक दल पैसे का भरपूर इस्तेमाल चुनाव के दौरान करते हैं. वे छल-कपट की राजनीति कर रहे हैं. उनके छलावों के सहारे राजनीतिक और चुनावी स्वार्थ का सही से सामना करने के लिए डबल मेहनत से संगठन को मजबूत करें और जनाधार बढ़ाएं जिससे वोट हमारा राज तुम्हारा की चली आ रही शोषणकारी व्यवस्था से गरीबों को मुक्ति मिल सके.