उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

मायावती ने आकाश आनंद को सौंपी 26 राज्यों की कमान, यूपी और उत्तराखंड खुद संभालेंगी

बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती (Mayawati Akash Anand) ने अपना उत्तराधिकारी घोषित करने के बाद आकाश आनंद को 26 राज्यों की कमान भी सौंप दी है. हालांकि दो बड़े राज्य वह खुद संभालेंगी.

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 10, 2023, 7:25 PM IST

े्पप
पप

लखनऊ :बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है. हालांकि उन्हें देश के सभी राज्यों की कमान नहीं सौंपी है. दो ऐसे बड़े राज्य अपने पास रखे हैं जिन पर मायावती शासन कर चुकी हैं. साल 2000 से पहले उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश एक ही थे. मायावती मुख्यमंत्री रहीं थीं. बाद में उत्तराखंड तो अलग हो गया लेकिन मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनती रहीं. यही दो राज्य मायावती ने अपने पास रखे हैं जबकि देश के 26 राज्यों की कमान अपने भतीजे आकाश आनंद को सौंप दी है. ऑल इंडिया बहुजन समाज पार्टी की बैठक में मायावती ने यह फैसला लिया है.

चंद्रशेखर आजाद की लोकप्रियता कम करने का प्रयास :राजनीतिक जानकार मानते हैं कि मायावती ने आकाश आनंद को जिम्मेदारी इसलिए दी है जिससे आजाद समाज पार्टी के सर्वेसर्वा चंद्रशेखर आजाद की दलितों के बीच बढ़ती लोकप्रियता को कम किया जा सके. मायावती इससे दलित समाज को यह भी संदेश देना चाहती हैं कि बहुजन समाज पार्टी के पास युवा के रूप में विकल्प मौजूद हैं. जो चंद्रशेखर आजाद से कहीं ज्यादा बेहतर हैं. युवा आकाश आनंद के साथ जुड़ेंगे, इससे बहुजन समाज पार्टी मजबूत होगी. चंद्रशेखर आजाद लगातार दलितों के बीच जा रहे हैं जिससे बहुजन समाज पार्टी से दलित वर्ग छिटकता नजर आ रहा है. मायावती अब जमीन पर ज्यादा उतरती नहीं हैं. काफी कम रैलियां भी करती हैं. लोगों के बीच भी न के बराबर ही जाती हैं. ऐसे में अब आकाश आनंद यह दायित्व बेहतर तरीके से निभा सकते हैं. जब वे लोगों के बीच जाएंगे तो पार्टी की पैठ बढ़ेगी और इसका फायदा पार्टी को मिलेगा.

मायावती ने दो राज्य अपने पास रखे हैं.

बसपा के वोट प्रतिशत में आई गिरावट :उत्तर प्रदेश जैसे राज्य की बात करें तो बहुजन समाज पार्टी के गिरते ग्राफ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 22 फीसद वोट हासिल करने वाली बसपा अब सिर्फ 11% पर ही रह गई है. देश के तमाम राज्यों में उसकी स्थिति सही नहीं है. राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के चुनाव में भी पार्टी को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिल पाई है. लोकसभा चुनाव से पहले आकाश को दायित्व सौंपकर मायावती ने ऐसा करके एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेला है. पार्टी कार्यालय पर आयोजित बैठक में मायावती ने पार्टी पदाधिकारियों को लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाने के लिए कहा, साथ ही उन्होंने फिक्र जताई कि सभी राजनीतिक दल पैसे का भरपूर इस्तेमाल चुनाव के दौरान करते हैं. वे छल-कपट की राजनीति कर रहे हैं. उनके छलावों के सहारे राजनीतिक और चुनावी स्वार्थ का सही से सामना करने के लिए डबल मेहनत से संगठन को मजबूत करें और जनाधार बढ़ाएं जिससे वोट हमारा राज तुम्हारा की चली आ रही शोषणकारी व्यवस्था से गरीबों को मुक्ति मिल सके.

राजनीतिक दलों के पैसे के भरपूर इस्तेमाल पर जताई चिंता :मायावती ने कहा कि विरोधी पार्टियां सैकड़ों हजारों करोड़ रुपयों के जरिए काफी खर्चीला चुनाव लड़कर जनमत को प्रभावित करने की कोशिश कर रहीं हैं जबकि बसपा धन्नासेठ और बड़े-बड़े पूंजीपतियों के सहारे और उनके इशारों से बचने के लिए सिर्फ अपने लोगों के खून पसीने की कमाई पर ही आश्रित है. दोनों में फर्क साफ है. विरोधी पार्टियां आदर्श चुनाव आचार संहिता की धज्जियां उड़ाते हैं. किस्म-किस्म के लुभावने और कभी न पूरा किए जाने वाले वादे करके चुनाव को इस हद तक प्रभावित कर देती हैं कि चुनाव एकतरफा हो जाता है. ऐसे में चुनाव परिणाम उनके पक्ष में आता है. हाल ही में देश के चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में यही देखने को मिला है तो ऐसा ही लोकसभा चुनाव में भी होगा जिसके लिए अभी से तैयारी करनी होगी.

बहुजन मूवमेंट को मजबूत करने की अपील :बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि बीएसपी की सरकार में खासकर बेरोजगारी भत्ता और पांच किलो सरकारी अनाज देने जैसी सस्ती लोकप्रियता वाले कार्य नहीं किए गए, बल्कि लोगों को इज्जत से जीने के लिए लाखों की संख्या में सरकारी और गैर सरकारी स्थायी रोजगार मुहैया कराने का रिकॉर्ड कायम किया गया. स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराकर लोगों का पलायन भी रोका गया. इसमें यूपी की अब तक की अन्य सभी सरकारें असफल रही हैं. इस बार हर बार की तरह मेरा जन्मदिन जनकल्याणकारी दिवस के रूप में मनाएं और अपने महापुरुषों को याद करें. उनके जीवन संघर्षों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ें. बहुजन मूवमेंट को मजबूत करें यही पार्टी के लिए बेहतर होगा.

यह भी पढ़ें :वेस्ट यूपी में लोकदल की सक्रियता के क्या हैं सियासी मायने, राष्ट्रीय लोकदल पर इसका कितना पड़ेगा प्रभाव ?, पढ़िए डिटेल

ABOUT THE AUTHOR

...view details