शताब्दी वर्ष समारोह: योग तन और मन दोनों का इलाज
लखनऊ विश्वविद्यालय अपना शताब्दी वर्ष समारोह मना रहा है. इस दौरान रोज ही कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. आज विश्वविद्यालय में कार्यक्रम की शुरुआत योग शिविर से हुई.
लखऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के चल रहे शताब्दी वर्ष समारोह में मंगलवार को फिर कार्यक्रम की शुरुआत योग शिविर से हुई. शिविर में डॉ अमरजीत यादव ने बताया कि योग मात्र स्वास्थ्य के लिए ही उपयोगी नहीं है, बल्कि सामाजिक समरसता एवं समाज में परस्पर संबंधों को स्थापित करने में भी सहायक है. अष्टांग योग में वर्णित अभ्यासों से सामाजिक समरसता एवं सद्भाव में वृद्धि होती है. पारिवारिक विघटन एवं आपसी वैमनस्य को दूर करने में भी अष्टांग योग का अभ्यास उपयोगी सिद्ध होता है.
डॉ अमरजीत यादव ने बताया कि वैज्ञानिक उन्नति के कारण तन की चिकित्सा तो उपलब्ध है, किंतु आज भी मन की चिकित्सा में मेडिकल साइंस मौन है. योग के माध्यम से तन और मन को फिट रखते हुए खुशहाल जीवन जी सकते हैं.
योग शिविर में शामिल हो रहे प्रतिभागियों को कटि शक्ति विकसित क्रिया, गर्दन शक्ति विकासक क्रिया, कंधा विकासक क्रिया और उदर शक्ति विकासक क्रिया का अभ्यास कराया गया. आसनों में मार्जरी, उष्ट्रासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन और भद्रासन का अभ्यास कराया गया. वहीं, प्राणायामों में अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, कपालभाति, उज्जायी आदि का अभ्यास कराया गया. शिथिलीकरण अभ्यास के साथ योग सत्र का समापन किया गया. योग शिविर में फैकल्टी ऑफ योगा एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन और फैकल्टी ऑफ यूनानी के शिक्षक, चिकित्सक, कर्मचारी छात्र-छात्राएं आदि उपस्थित रहे.