लखनऊ : पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर व उनकी पत्नी नूतन ठाकुर द्वारा संजीव जीवा हत्याकांड में दाखिल एक याचिका को खारिज करते हुए प्रभारी सत्र न्यायाधीश ने दुर्भावनापूर्ण, तथ्यहीन और आधारहीन करार दिया है. न्यायालय ने कहा कि जो शक्ति सत्र अदालत को नहीं है, उसका आदेश देने की प्रार्थना वर्तमान याचिका में कर दी गई है और उसमें भी कोई तथ्य नहीं दिया गया है.
यह आदेश प्रभारी सत्र न्यायाधीश विवेकानन्द शरण त्रिपाठी ने पारित किया. ठाकुर दंपती द्वारा दाखिल उक्त याचिका में कहा गया था कि सात जून को कोर्ट परिसर में हुए जीवा हत्याकांड की विवेचना सीबीआई से कराई जाए तथा याचियों को कोर्ट परिसर के भीतर तथा अन्य स्थानों पर पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराए जाने का आदेश भारत सरकार, सीबीआई, डीजीपी और पुलिस कमिश्नर लखनऊ को दिया जाए. न्यायालय ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के तमाम निर्णयों में यह स्पष्ट किया जा चुका है कि सीबीआई जांच का आदेश देने की शक्ति सिर्फ शीर्ष अदालत अथवा उच्च न्यायालयों को संविधान के अनुच्छेद 32 व 226 के तहत प्राप्त है, अन्य न्यायालयों को यह शक्ति प्राप्त नहीं है.