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दोस्त-रिश्तेदारों के साथ पेड़-पौधे लगाकर मनाएं विश्व प्रर्यावरण दिवस, जानें थीम

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Published : Jun 4, 2022, 8:37 PM IST

पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाएगा. "ऑनली वन अर्थ" इस बार विश्व पर्यावरण दिवस का थीम रखा गया है, जिसका मतलब है कि पृथ्वी के साथ सद्भाव में रहना जरूरी है.

ईटीवी भारत
विश्व प्रर्यावरण दिवस

लखनऊ: कल यानी की रविवार पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाएगा. लेकिन आपने कभी सोचा है कि क्या पर्यावरण मनाने के लिए सिर्फ एक ही दिन काफी है? क्योंकि आज के समय में पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है, जिसके चलते आने वाले समय में इसका खामियाजा कहीं न कहीं हमें उठाना पड़ेगा. इसलिए हमारा और आपका दायित्व बनता है कि हम प्रकृति के साथ तालमेल बनाएं रखें. वहीं, ईटीवी भारत कि इस स्पेशल रिपोर्ट में आज हम आपको बताएंगे कि यह तालमेल कैसे बैठाया जाए.

लखनऊ विश्वविद्यालय की इंस्टिट्यूट ऑफ वाइल्ड लाइफ साइंस की प्रो. अनीता कनौजिया ने बताया कि "ऑनली वन अर्थ" इस बार विश्व पर्यावरण दिवस का थीम रखा गया है. उन्होंने कहा कि धरती हमारी जननी है और प्रकृति हमारा जीवन है. लेकिन आधुनिकता की होड़ में हमारी प्रकृति को काफी नुकसान हो रहा है, क्योंकि विकास के लिए जगह-जगह काम किया जा रहा है और किसी भी देश को आगे बढ़ाने के लिए डेवलपमेंट बेहद जरूरी है. लेकिन पर्यावरण हमारा हिस्सा है प्रर्यावरण है तो हम हैं. इसलिए हमारा और आपका दायित्व बनता है कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचने से बचाया जा सके. इसके लिए सबसे पहले हम प्रकृति से प्यार करना सीखें, क्योंकि जिसे हम प्यार करते हैं, उसे नुकसान नहीं होने देते. इसके लिए जितना हो सके पेड़ पौधों का रोपण करना चाहिए. हर व्यक्ति को अपने हिस्से का एक पेड़ जरूर लगाना चाहिए. किसी को दिखाने के लिए नहीं बल्कि अपनी संतुष्टि के लिए प्राकृति से जुड़े. नेचुरल चीजों का इस्तेमाल करें.

विश्व प्रर्यावरण दिवस

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ऑक्सीजन के लिए लगाएं पेड़-पौधे

लखनऊ विश्वविद्यालय, जूलॉजी डिपार्टमेंट की प्रो. नलनी पांडेय ने बताया कि इस बार विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर हम ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे का रोपण करें. अपने डिपार्टमेंट में भी हम विश्व पर्यावरण दिवस के दिन पौधारोपण करेंगे. उन्होंने कहा कि हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं. अब झरना, नदी, झील और जंगल देखने को हमें दूर-दूर तक नहीं मिलता है. पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का खामियाजा हम समय-समय पर भुगतते हैं. उदाहरण के लिए कोरोना काल का ही समय ले लीजिए. कभी बाढ़ आ जाती है तो कभी बादल फटते हैं. कहीं धरती में पानी सूख रहा है तो कहीं की जमीन आग उगल रही है. यह सब क्लाइमेट चेंज की वजह से ही हो रहा है. पेड़ों के कटने से हवा इतनी दूषित हो गई है कि शहरों में सांस लेना भी दूभर हो गया है. अगर हम बात पर्यावरण की करें तो शहरीय क्षेत्र में पर्यावरण काफी प्रदूषित हो चुका है. शहर की तुलना में जबकि गांव काफी ज्यादा अच्छा है. दूषित एनवायरनमेंट में रहने के कारण आजकल लोगों को ऐसी-ऐसी बीमारी हो रही है, जिसके बारे में ना तो पहले कभी सुना और न लोगों को इसके बारे में कभी मालूम था. ऐसे में जरूरी है कि हम अपने वातावरण को स्वच्छ रखें और कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाएं. ताकि उन पेड़ पौधे के जरिए हमें नेचुरल ऑक्सीजन प्राप्त हो.

स्पेशल है इस बार की थीम
हर साल पर्यावरण दिवस की कोई न कोई खास थीम होती है. इस साल विश्व पर्यावरण दिवस 2022 की थीम ऑनली वन अर्थ (Only one Earth) यानी कि 'केवल एक पृथ्वी' रखी गई है, जिसका मतलब है कि पृथ्वी के साथ सद्भाव में रहना जरूरी है.

जानें क्यों मनाते है विश्व पर्यावरण दिवस
प्रोफेसर ने बताया कि हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसका उद्देश्य लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना है. 5 जून 1972 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व पर्यावरण दिवस की नींव रखी थी. इसके बाद हर साल इसे विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. दुनिया में लगातार प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है, जिससे हमारे जीवन पर काफी ज्यादा बुरा प्रभाव पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि लोग प्रकृति से जुड़े नेचुरल चीजों को पसंद करें अपने वातावरण को हरा-भरा रखें.

वाहन का करे कम इस्तेमाल
प्रोफेसर ने बताया कि जितना हो सके हमें नेचुरल रहना है. अगर हम चाहते हैं कि हम स्वस्थ रहें तो इसके लिए हमें प्राकृतिक से जुड़ना होगा. हमें वाहनों का इस्तेमाल कम करना होगा. फ्यूल वाहनों की जगह पर हम साइकिल का इस्तेमाल कर सकते हैं. साइकिल के इस्तेमाल से हमारे बॉडी भी फिट रहेगी और हम स्वस्थ रहेंगे साथ ही हमारा एनवायरनमेंट भी एकदम स्वस्थ रहेगा.

दूषित पर्यावरण से होती है यह बीमारियां
पर्यावरण दूषित होने के कारण तमाम बीमारियां होनी शुरू हो जाती हैं. मौसम में परिवर्तन होता है कभी गर्मी अधिक पड़ती है तो कभी मानसून जल्दी आ जाता है. ऐसे में लोग अस्थमा, लंग कैंसर, तीव्र श्वसन संक्रमण, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पलमोनरी डिसीज (सीओपीडी), दिल का दौरा, त्वचा संबंधित दिक्कतें, आंखों में जलन (इंफेक्शन) आदि बीमारियों से पीड़ित होने लगते हैं.

पर्यावरण के लिए करें यह काम
पर्यावरण को स्वस्थ और हरा भरा रखें जितना हो सके उतना पेड़ पौधे लगाएं. अपने आसपास सफाई रखें. अगर आपको लगता है कि आपके घर के आसपास कहीं गंदगी है तो उसे साफ करवाएं ताकि आप स्वच्छ वातावरण में रहे.

स्वस्थ रहने के लिए करें यह काम
सबसे पहले जरूरी है कि आप अपना दिनचर्या बताएं और उसी के अनुसार रूटीन का काम करें
सुबह-सुबह योगा और एक्सरसाइज जरूर करें.
फिट रहने के लिए सुबह और शाम की ताजी हवा जरूर लें. मॉर्निंग वॉक, इवनिंग वॉक करें.
गर्मी के मौसम में ज्यादा से ज्यादा पानी पिए ताकि आप भी हाइड्रेशन की शिकार न हो. मौसमीय फल का सेवन करें.

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