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बजट में गांव को प्राथमिकता, रोजगार पर होगा फोकस

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Published : Feb 21, 2021, 8:03 AM IST

Updated : Feb 22, 2021, 7:31 AM IST

यूपी बजट 2021 पर पूरे प्रदेश, देश और दुनिया की नजर है. 22 फरवरी को पेश हो रहा योगी सरकार का यह पांचवा और आखिरी पूर्ण बजट कितना खास होगा, इस पर कयासों का बाजार गर्म हो गया है. वर्ष 2022 में राज्य विधानसभा के चुनाव भी होने हैं, ऐसे में सरकार का प्रयास विकास के हर पहलू पर फोकस करने का होगा.

बजट पर विश्लेषण
बजट पर विश्लेषण

लखनऊः वित्तीय वर्ष 2021-22 के योगी सरकार के बजट पर पूरे उत्तर प्रदेश, देश और दुनिया की नजर है. 22 फरवरी को पेश हो रहा योगी सरकार का यह पांचवा और आखिरी पूर्ण बजट पूर्व वर्षों के मुकाबले कितना भिन्न होगा, इस पर अभी से कयासों का बाजार गर्म हो गया है. वर्ष 2022 में राज्य विधानसभा के चुनाव भी होने हैं, ऐसे में सरकार का प्रयास विकास के हर पहलू पर फोकस करने का होगा. बजट को बुनियादी ढांचे के विकास, बेरोजगारी उन्मूलन और नई शिक्षा नीति के संवर्धन पर केंद्रित कर सरकार समाज के हर वर्ग को साधने की कोशिश करेगी.

अनुपूरक बजट की भी संभावना
कोरोना काल में राज्य और केंद्र सरकार के राजस्व में आई कमी किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में बजट के लिए संसाधन जुटाना भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी. वर्ष 2020-21 के बजट का आकार 5.12 लाख करोड़ रुपये था. उम्मीद है कि इस बार बजट 5.5 से 5.6 लाख करोड़ रुपये का हो सकता है. चुनावी वर्ष में हौसला दिखाते हुए सरकार इससे भी बड़े आकार का बजट प्रस्तुत कर दे, तो भी कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी. सरकार जरूरत पड़ने पर अगस्त और दिसंबर में दो अनुपूरक बजट भी ला सकती है.

किसानों को साधने पर होगा सरकार का जोर
विपक्ष किसानों के मुद्दे पर हमलावर है और दिल्ली बाॅर्डर पर किसानों का आंदोलन चल रहा है. किसानों के समर्थन में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान महापंचायतों के आयोजन हो रहे हैं. ऐसे में सरकार की हर संभव कोशिश बजट के जरिए किसानों को खुश करने और विरोधियों को अपने राजनीतिक मकसद में विफल करने की होगी. इसके लिए सरकार बड़े और कड़े निर्णय भी ले सकती है.

बजट में गावों पर भी हो सकती है नजर
गांव और किसान सरकार की प्राथमिकता के केंद्र में पहले दिन से रहे हैं. इस बजट में वह हर गांव को डिजिटल बनाने की घोषणा कर सकती है. यही नहीं, हर गांव में मल्टी यूटिलिटी सेंटर खोलने के दावे भी कर सकती है. हर गांव को सड़क से जोड़ने का एलान कर सकती है. गांव-गांव सरकारी परिवहन बस चलाने और जगह-जगह छोटे बस स्टैंड खोलने का एलान भी सरकार कर सकती है. गांवों को चैबीस घंटे बिजली देने का एलान भी हो सकता है और कृषि मंडियों में नई सुविधाओं के विस्तार की भी सरकार घोषणा कर सकती है. सरकार हर परिवार के एक युवक को रोजगार देने की गारंटी दे सकती है. हर पात्र व्यक्ति को पेंशन देने का एलान कर सकती है.

उद्योगों के लिए और राहत की हो सकती है घोषणा
सरकार बजट 2021-2022 में उद्योग लगाना आसान कर सकती है और हर व्यापारी को बेहतर कारोबारी माहौल देने की घोषणा कर सकती है. सरकारी दर पर कृषि उपज की खरीद और हर खेत को पानी देने जैसे वादे कर सकती है. बजट में सरकार महिला सुरक्षा का एलान कर सकती है और उनके साथ जोर-जुल्म करने वालों को जेल पहुंचाने की घोषणा कर सकती है. हर बच्चे को पोषाहार की घोषणा की जा सकती है और आत्मनिर्भर भारत की तर्ज पर आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश के निर्माण की बात कर सकती है. अभी प्रदेश के सभी 18 मंडलों में अभ्युदय कोचिंग सेंटर आरंभ किए गए हैं. संभव है सरकार इसका दायरा बढ़ाकर हर जिला स्तर तक कर दे.

रोजगार के अवसर बढ़ाने की ओर हो सकती हैं कोशिशें
बेरोजगारों को रोजगार देने की दिशा में सरकार की गंभीरता इन दिनों प्रमुखता से देखी जा रही है. जिस तरह घड़ाधड़ विज्ञाप्तियां निकल रही हैं, उसका असर वर्ष 2021-22 के योगी सरकार के बजट पर देखने को मिल सकता है. सरकार भी जानती है कि वह बजट को जितना ही खास बनाएगी, उतना ही वह प्रदेश की जनता के दिलों के पास जा पाएगी. इसमें संदेह नहीं कि विधानसभा चुनाव से पहले के इस बजट को सबसे खास बनाने की कवायद योगी सरकार पहले ही कर चुकी है. 22 फरवरी को बजट को विधानमंडल के समक्ष रखा भर जाना है. अपेक्षा की जा सकती है कि यह बजट न केवल नए रूप और कलेवर में पेश होगा बल्कि इसमें हर गांव, घर, परिवार के विकास की बात भी शामिल होगी. उद्यमी, किसान, महिला, नौजवान की चिंता भी यह बजट करता नजर आएगा. इसमें व्यापारियों और बेरोजगारों के लिए कुछ खास होगा तो बेसहारा की सहारा बनने वाली कोई न कोई सौगात भी इस प्रदेश को मिल सकती है.

पूरी तरह से होगा चुनावी बजट
कुल मिलाकर यह चुनावी बजट होगा. इसके जरिए सरकार अपने चुनावी समीकरण साधने की पुरजोर कोशिश करेगी, इस बात को नकारा नहीं जा सकता. विधानमंडल का पिछला बजट सत्र अगस्त में हुआ था. दिसंबर में शीतकालीन सत्र बुलाए जाने और इसमें वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए अनुपूरक बजट पेश किए जाने की चर्चा थी, लेकिन कोरोना महामारी के योगी आदित्यनाथ सरकार बजट सत्र नहीं बुला सकी थी. वैसे भी यह बजट कोरोना महामारी से आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही सरकार के सामने राज्य की ऋण ग्रस्तता, राजस्व बचत, राजकोषीय घाटे में संतुलन साधता नजर आएगा. इसमें शक नहीं कि चुनावी वर्ष में राजस्व प्राप्तियों का अनुमान बढ़ा-चढ़ाकर लगाकर नई योजनाओं के लिए बजट प्रावधान का तरीका अपनाने का विकल्प सरकार के पास खुला है.

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राज्य की आय में 60 हजार करोड़ की कमी का अनुमान
योगी सरकार ने जब 2020-2021 में 5,12,860.72 करोड़ का बजट पेश किया था, तो इसे काफी यथार्थवादी बजट करार दिया गया था. पिछले वित्त वर्ष की तुलना में इस बजट में सिर्फ 6.46 फीसदी वृद्धि का अनुमान लगाया जा रहा था, लेकिन इस पूरे वित्तीय वर्ष में कोविड-19 महामारी का असर रहा है और इससे केंद्र और राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. यह सच है कि पिछले कुछ महीनों से अर्थव्यवस्था पटरी पर आई है. पूर्व की स्थिति में कमी आई है, लेकिन अब भी राज्य की आय में करीब 60 हजार करोड़ तक कमी का अनुमान है. ऐसे में सड़क, बिजली, एक्सप्रेस-वे, मेट्रो, एयरपोर्ट, छात्रवृत्ति, पेंशन जैसी भारी बजट वाली चालू योजनाओं और परियोजनाओं के साथ चुनावी वर्ष के लिए लोकलुभावन बजट लाने का क्या तौर-तरीका हो सकता है, उस पर राज्य सरकार के रणनीतिकार दिन-रात मंथन कर रहे हैं.

अयोध्या पर भी हो सकती है बजट में खास घोषणा
इतिहास गवाह है कि सामने चुनाव दिख रहा हो तो प्रदेश की अधिकतर सरकारें अक्सर सभी वित्तीय कसौटियों को नजरंदाज करते हुए आगे बढ़ती हैं. इस तरह का विकल्प योगी सरकार के पास भी उपलब्ध है. ऐसे में अधिकतम सीमा तक ऋण लेने का प्रावधान करने, राजस्व प्राप्तियों का अनुमान बढ़ा-चढ़ा दिखाकर पूर्ववर्ती सरकारों की तरह नई योजनाओं के लिए बजट बंदोबस्त किया जा सकता है. ऐसा कर बजट आकार 5.50 लाख करोड़ से भी ज्यादा किया जा सकता है. फरवरी, 2020 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को विधायक निधि की धनराशि दो करोड़ से बढ़ाकर तीन करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया था. सरकार इस बार भी कुछ ऐसा करेगी, यह तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन उसके लिए ऐसा करना अप्रत्याशित भी नहीं है. कुल मिलाकर योगी सरकार के बजट पर सबकी नजर है. अयोध्या के विकास को लेकर सरकार पहले भी बहुत गंभीर रही है. मुख्यमंत्री अयोध्या को दुनिया की सबसे बड़ी स्मार्ट सिटी बनाने की मुनादी पहले ही कर चुके हैं, ऐसे में देखना होगा कि अयोध्या जैसे धार्मिक शहरों को आधुनिक बनाने की कसौटी पर यह बजट कितना खरा उतरता है.

( सियाराम पांडेय, राजनीतिक विश्लेषक, वरिष्ठ संपादक एवं लेखक )

Last Updated : Feb 22, 2021, 7:31 AM IST

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