लखनऊ: कोरोना वायरस से बचाव को लेकर किए गए लॉकडाउन के समय जल और वायु प्रदूषण में काफी कमी आई है. जहां एक तरफ गंगा, यमुना सहित अन्य नदियों का जल काफी स्वच्छ और निर्मल हुआ है. वहीं वायु प्रदूषण की स्थिति भी काफी बेहतर हुई है. आंकड़ों की मानें तो एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआई पहले से काफी बेहतर हुआ है.
प्रदूषण बोर्ड का एक्शन प्लान. लॉकडाउन धीरे-धीरे करके पूरी तरह से खुल रहा है. लोगों की दिनचर्या पहले जैसी हो रही है. ऐसे में जल और वायु प्रदूषण को किस प्रकार से बेहतर रखा जा सकता है. इसे लेकर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से एक्शन प्लान पर काम शुरू कर दिया गया है. उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन जेपीएस राठौर ने जल और वायु प्रदूषण में सुधार को लेकर ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन जेपीएस राठौर ने बताया कि लाकडॉउन पीरियड में जल और वायु प्रदूषण में काफी सुधार हुआ है. गंगा और यमुना का जल काफी स्वच्छ हुआ है. गंगा के जल प्रभाव को स्थिर रखना होता है. अगर उसे बढ़ाया जाएगा तो जल स्वच्छ नहीं रहेगा और घटाया जाएगा तो भी स्वच्छ नहीं रहेगा. गंगाजल के प्रवाह को अगर बढ़ाया जाएगा तो टर्बुलेंस के कारण स्वच्छता नहीं बनी रहेगी, इसलिए गंगाजल का जो स्वाभाविक प्रवाह है. वह अगर होता रहेगा तो गंगा जी खुद ही स्वच्छ रहेंगी.
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बोर्ड के चेयरमैन जेपीएस राठौर ने बताया कि अब हमारे सामने चुनौती यह है कि गंगा, यमुना सहित अन्य जो नदियां इस दौरान स्वच्छ हो गई हैं, वे आगे स्वच्छ बनी रहें. इसको लेकर हम लगातार काम कर रहे हैं. हमने एक्शन प्लान तैयार किया है. अधिकारियों से पूरी रिपोर्ट मांगी है और अधिकारियों पर दबाव बना रहे हैं कि इसमें किसी प्रकार की कोई कमी न आए. इसके साथ ही हम यह डाटाबेस तैयार कर रहे हैं कि आखिर किन-किन वजहों से यह जल प्रदूषण बढ़ता है और इसको किस प्रकार से रोका जा सकता है, क्योंकि लॉकडउन के समय उत्तर प्रदेश की सभी चीनी मिल और डिस्टलरी लगातार चलती रही हैं. अन्य बड़ी इंडस्ट्री भी चलती रही हैं. ऐसे में जल प्रदूषण बेहतर रहा है. इसके अलावा अन्य समय में किस प्रकार से जल प्रदूषण होता है, इसको लेकर रिपोर्ट तैयार की जा रही है.
अगर वायु प्रदूषण की बात करें तो इसका बड़ा कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं है. इसके अलावा निर्माण कार्यों के दौरान निकलने वाली धूल होती है. लॉकडाउन के समय वाहन भी नहीं चल रहे थे और साथ ही निर्माण कार्य भी बंद थे. ऐसी स्थिति में एयर पॉल्यूशन की स्थिति काफी बेहतर रही और लोगों को प्राणवायु काफी बेहतर मिली. बोर्ड के चेयरमैन जेपीएस राठौर ने बताया कि एयर पॉल्यूशन को लेकर स्टडी करने का काम, रिपोर्ट तैयार करने का काम आईआईटी कानपुर को दिया है, जिसे यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि आखिर एयर पॉल्यूशन बढ़ने के पीछे क्या-क्या बड़े कारण हैं. रिपोर्ट आने के बाद हम इसको लेकर पूरी तरह से अपनी कार्ययोजना बनाकर काम करेंगे और इसमें कमी लाने का प्रयास करेंगे.