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लखनऊ: यहां डॉक्टर नहीं करते सुनवाई, वार्डबॉय देते हैं दवाई

यूपी की राजधानी लखनऊ में स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी चिकित्सालय का ईटीवी भारत की टीम ने अस्पताल की व्यवस्थाओं का जायजा लिया. मरीजों और उनके तीमारदारों से बातचीत की. इस दौरान अस्पताल की ओपीडी से लेकर जांच व्यवस्थाओं में घोर लापरवाही देखने को मिली.

अस्पताल में दिखा अव्यवस्थाओं का अंबार.
अस्पताल में दिखा अव्यवस्थाओं का अंबार.

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Published : Oct 30, 2020, 3:45 AM IST

लखनऊ:राजधानी के केंद्र में स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी चिकित्सालय में लापरवाही का मामला सामने आया है. अस्पताल में बेहतर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, जिसकी रियलिटी चेक करने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने अस्पताल का जायजा लिया. साथ ही अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों और उनके तीमारदारों से भी बातचीत की. इस दौरान अस्पताल बदहाल दिखा. ओपीडी से लेकर जांच व्यवस्थाओं में घोर लापरवाही देखने को मिली.

अस्पताल में दिखा अव्यवस्थाओं का अंबार.
मरीज की नहीं हो पाई जांच
निगोहा से आने वाले मरीजों को अपने खून जांच कराने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा, जब तक उनकी बारी आई, तब लाल पैथोलॉजी में जांच के लिए मना कर दिया गया. निगोहा से अपनी मां को इलाज के लिए सुबह 8 बजे आए अमित की सुबह 12 बजे तक खून की जांच नहीं हो पाई. अमित बताते हैं उनकी मां को बुखार आ रहा है. इसके बाद भी अपनी मां को सुबह 8 बजे सिविल अस्पताल लेकर के आए थे. यहां पर डॉक्टरों ने जांच के लिए लिखा, लेकिन 12 बजे तक उनकी सारी जांच नहीं हो पाई.

2 घंटे पहले चले गए चिकित्सक
सिविल अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्थाओं को देखने के दौरान चेस्ट फिजिशियन चिकित्सक डॉ. अशोक यादव के कमरे के बाहर पहुंचे, तो वे अपने कमरे से नदारद दिखे. उनके कमरे में एक बुजुर्ग मरीज उनके आने का इंतजार कर रहे थे. इसी दौरान अशोक कुमार यादव के कमरे में स्थित वार्ड बॉय वहां पर मरीजों को इलाज दे रहे थे. हैरत की बात यह है कि 12:30 बजे ही चिकित्सक कमरे से जा चुके थे और उनकी अनुपस्थिति में वार्डबॉय मरीजों को इलाज दे रहा था.

जिम्मेदार बोले, व्यवस्थाओं को रखते हैं दुरुस्त

वहीं सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. एस के नंदा से बातचीत की गई, तो उन्होंने कहा की खून की जांच आदि हमारे यहां हो रही है. कभी-कभी मरीजों को थोड़ी बहुत परेशानी हो जाती है. हालांकि अभी संज्ञान में नहीं आया है. जरूरी व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखा जाता है. इन तमाम अव्यवस्थाओं पर चिकित्सा अधीक्षक व्यवस्थाओं के दुरुस्त होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन अस्पताल के हालात कुछ और ही हैं.

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