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भाजपा विधायक दल की बैठक में नहीं घोषित किया गया कोई भी डिप्टी सीएम, संशय बरकरार

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Published : Mar 24, 2022, 10:20 PM IST

भाजपा विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने पर मुहर लग गई है. लेकिन इस बैठक में डिप्टी सीएम कौन होगा, इसके बारे में कोई घोषणा नहीं हुई.

भाजपा विधायक दल की बैठक.
भाजपा विधायक दल की बैठक.

लखनऊ: भाजपा विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री होंगे, यह तय हो गया. लेकिन उत्तर प्रदेश में कौन डिप्टी सीएम होगा, इस पर शंका और अधिक बढ़ गई है. साल 2017 में 18 मार्च को जब भारतीय जनता पार्टी विधायक दल का नेता चुना गया था. ठीक उसी दिन भाजपा की केंद्रीय पर्यवेक्षक और वर्तमान में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने उत्तर प्रदेश में 2 डिप्टी सीएम होने की भी घोषणा कर दी थी. दोनों के नाम भी बता दिए थे. लेकिन इस बार विधायक दल का नेता चुनने के बाद इस बात की घोषणा भारतीय जनता पार्टी की ओर से नहीं की गई है कि उत्तर प्रदेश में कोई डिप्टी सीएम होगा यह नहीं. जबकि विधायक दल का नेता चुने जाने के दौरान मंच पर दोनों पूर्व डिप्टी सीएम विराजमान थे.

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गौरतलब है कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सिराथू विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार और अपना दल कमेरावादी की नेता पल्लवी पटेल से 7000 से अधिक वोटों से चुनाव हारे. इसके बाद से ही उनके डिप्टी सीएम न बनाए जाने की संभावनाएं प्रबल होने लगी. लेकिन उत्तराखंड में पुष्कर धामी के चुनाव हारने के बावजूद मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद यह संभावना जताई जाने लगी थी कि केशव प्रसाद मौर्य को भारतीय जनता पार्टी दोबारा डिप्टी सीएम बना देगी. दूसरी ओर डॉ. दिनेश शर्मा चुनाव ही नहीं लड़े. उनके बारे में शुरू से ही कहा जा रहा है कि संभवतः उनको इस बार डिप्टी सीएम नहीं बनाया जाएगा.

केशव और दिनेश शर्मा को योगी ने बताया पूर्व डिप्टी सीएम
उम्मीद की जा रही थी कि योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुनने के बाद भारतीय जनता पार्टी अपने संभावित उप मुख्यमंत्रियों के नामों की भी घोषणा कर देगी. लेकिन आज जब विधायक दल का नेता चुना गया तो भाजपा की ओर से डिप्टी सीएम की घोषणा नहीं की गई. यही नहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण में केशव प्रसाद मौर्य और डॉक्टर दिनेश शर्मा को पूर्व उपमुख्यमंत्री भी बोल दिया.

मुख्यमंत्री कभी भी बना सकते हैं उपमुख्यमंत्री
वैसे उपमुख्यमंत्री कोई भी संवैधानिक पद नहीं है. यह सरकार की ओर से दिया हुआ एक मानद पद है जो कि एक कैबिनेट मंत्री को ही दे दिया जाता है. शपथ ग्रहण में भी उप मुख्यमंत्री पद की कोई शपथ नहीं होती है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि शपथ ग्रहण के बाद भारतीय जनता पार्टी अपने वरिष्ठ नेताओं में से कुछ को उप मुख्यमंत्री घोषित कर सकती है.

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