लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बेकाबू हो चले कोरोना संक्रमण से स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की कलई खुल गई है. कहीं मरीजों को एंबुलेंस नहीं मिल रही है, कहीं मरीजों की एंबुलेंस के इंतजार में मौत हो रही है तो वहीं कहीं एंबुलेंस में मरीजों का इलाज हो रहा है. अन्य जिलों की बात तो छोड़िये राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमण ने कुछ ही दिनों में इतने बद से बदतर हालात पैदा कर दिए हैं कि मरीजों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल पा रहा है. मरीजों को अस्पतालों में भर्ती कराने के लिए एंबुलेंस चालकों को घंटों अस्पताल के बाहर इंतजार करना पड़ रहा है, जिस कारण पीपीई किट पहने एंबुलेंस चालक भी बेहोश होकर गिर रहे हैं.
बता दें कि राजधानी में कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए एंबुलेंस कर्मचारी दिन-रात लगे हुए हैं. इन दिनों अस्पताल में मरीजों को भर्ती कराने में उनके परिजनों को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के बेड फुल हो जाने के कारण मरीज दर्द से अस्पताल के बाहर एंबुलेंस में ही तड़प रहे हैं.
इस दौरान एंबुलेंस कर्मचारी भी एंबुलेंस में पीपीई किट में ही रहते हैं. गर्मी का मौसम है, ऐसे में सुबह से बाहर निकले कर्मचारी रात में ही पीपीई किट उतारते हैं और बिना खाना-पानी के दिनभर रहते हैं. उमस भरी गर्मी के दिनों में 12 घंटे पीपीई किट पहनना मुश्किल काम है, जिसके कारण एंबुलेंस कर्मचारी ड्यूटी के दौरान ही चक्कर खाकर गिर पड़ रहे हैं.
बलरामपुर अस्पताल के बाहर दर्जनों एंबुलेंस खड़ी
बलरामपुर अस्पताल के बाहर दर्जनों की संख्या में एंबुलेंस खड़ी हैं, जिसमें एंबुलेंस कर्मचारी समेत कोरोना संक्रमित मरीज भी मौजूद हैं, लेकिन अस्पताल में मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा, जिसके चलते एंबुलेंस चालक भी वहीं पर फंसे रहते हैं. वह न तो मरीज को छोड़कर वापस आ सकते हैं और न ही मरीज को भर्ती करा सकते हैं. ऐसी स्थिति में दिनभर पीपीई किट पहने रहने से एंबुलेंस कर्मचारी ऑन ड्यूटी बेहोश हो रहे हैं.