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लखनऊ: कैंट सीट पर दिलचस्प होगा मुकाबला, सिख प्रत्याशी की चमक सकती है किस्मत

लखनऊ के कैंट विधानसभा सीट पर 21 अक्टूबर को उपचुनाव होने जा रहा है. इस बार के उपचुनाव में तीन पार्टियों ने सवर्ण प्रत्याशियों को उतारा है, लेकिन कांग्रेस ने सिख वर्ग के दिलप्रीत सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है.

कैंट विधानसभा सीट पर 21 अक्टूबर को उपचुनाव

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Published : Oct 17, 2019, 12:03 AM IST

Updated : Oct 17, 2019, 9:03 PM IST

लखनऊ: कैंट विधानसभा सीट पर 21 अक्टूबर को उपचुनाव होने वाला है. भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है. दरअसल, इस सीट पर 7 बार कांग्रेस पार्टी ने और 6 बार भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की है.

तीन बार विजेता रहे चुके हैं बीजेपी के प्रत्याशी

कैंट विधानसभा सीट पर भाजपा के प्रत्याशी सुरेश तिवारी मैदान में हैं. ये तीन बार इसी सीट से विधायक भी रह चुके हैं, लेकिन 2012 में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर रीता बहुगुणा जोशी ने उन्हें हरा दिया था. इसीलिए 2017 में सुरेश तिवारी को इस सीट से भाजपा का टिकट नहीं मिल पाया था, लेकिन फिर रीता बहुगुणा जोशी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आ गई और यहां पर फिर से बीजेपी के पक्ष में कैंट सीट ले आईं. अब रीता बहुगुणा जोशी सांसद हो गई हैं. ऐसे में इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है और फिर से भारतीय जनता पार्टी ने सवर्ण प्रत्याशी सुरेश तिवारी को उतारा है.

कैंट सीट पर दिलचस्प होगा मुकाबला.

अब तक कैंट सीट पर कब्जा नहीं कर पाई है सपा
इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने सवर्ण प्रत्याशी आशीष चतुर्वेदी को मैदान में उतारा है. हालांकि समाजवादी पार्टी कभी भी कैंट सीट पर कब्जा नहीं जमा पाई है. पिछले चुनाव में मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव यहां से चुनाव लड़ी थीं. कांग्रेस ने उनका सपोर्ट भी किया था, लेकिन सपा जीत नहीं पाई. अब आशीष चतुर्वेदी इस सीट पर सपा की साइकिल दौड़ा पाएंगे या नहीं ये तो 24 अक्टूबर को ही पता चलेगा.

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बसपा के सबसे अमीर प्रत्याशी
बहुजन समाज पार्टी ने भी इस बार सवर्ण प्रत्याशी अरुण द्विवेदी को मौका दिया है. ये सीट कभी बसपा के हिस्से नहीं रही, लेकिन इस बार बसपा के सबसे अमीर प्रत्याशी अरुण द्विवेदी इस सीट को बसपा के खाते में ले जाकर नया इतिहास रचने की तैयारी में हैं.

मैं जाति में विश्वास नहीं रखता
इन सबके बीच कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी दिलप्रीत सिंह सिख वर्ग से ताल्लुक रखते हैं. तीन बड़ी पार्टियों के सवर्ण प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं तो ब्राह्मण वोटों का बंटवारा होने की भी संभावनाए ज्यादा हैं. ऐसे में यहां पर अगर लगभग 50000 की संख्या में रह रहे सिख समुदाय का समर्थन दिलप्रीत सिंह को मिलता है और ब्राह्मण वर्ग का वोट भी लेने में भी वे कामयाब हो जाते हैं, तो वो 2019 के विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस को एक बड़ी जीत दिला सकते हैं. हालांकि दिलप्रीत सिंह का साफ कहना है कि मैं जाति में विश्वास नहीं रखता, मुझे सभी का वोट मिलने की पूरी उम्मीद है.

Last Updated : Oct 17, 2019, 9:03 PM IST

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