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चाचा-भतीजे के गठबंधन पर संशय बरकरार, गठबंधन न हुआ तो दोनों का होगा नुकसान

विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर सभी राजनीतिक दलों में सरगर्मियां तेज हो गई हैं. ऐसे में जहां प्रदेश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी को अपनी साख बचाने की चिंता है, वहीं समाजवादी पार्टी भाजपा सरकार जिन मुद्दों पर असफल हुई उसको लेकर जनता के बीच जा रही है.

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Published : Jun 10, 2021, 7:03 PM IST

Updated : Jun 10, 2021, 7:27 PM IST

चाचा-भतीजा गठबंधन.
चाचा-भतीजा गठबंधन.

लखनऊ: 2022 के विधानसभा चुनाव की बिसात बिछनी शुरू हो गई है. ऐसे में सभी राजनीतिक दल तैयारियों में लग गए हैं. जहां भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता लगातार लखनऊ का दौरा कर संगठन और सरकार के बीच सामंजस्य बैठाकर मजबूती के साथ रणनीति बना रहे हैं, वहीं समाजवादी पार्टी ने भी अपने सभी पदाधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रियता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. प्रगतिशील समाज पार्टी के शिवपाल सिंह यादव प्रदेश के जनपदों का दौराकर लगातार बैठक कर संगठन को मजबूत करने में लगे हुए हैं.

संवाददाता की रिपोर्ट.
शिवपाल सिंह यादव कर रहे दौरा

2017 के विधानसभा चुनाव से पूर्व समाजवादी पार्टी से अलग होकर अपना नया दल प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन करने वाले शिवपाल सिंह यादव लगातार प्रदेश के विभिन्न जनपदों का दौरा कर रहे हैं. विगत एक माह पूर्व ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में शिवपाल सिंह यादव ने इस बात को खुलकर स्वीकार किया था कि पार्टी के कुछ शकुनी लोग हैं, जो परिवार को एक साथ नहीं आने देना चाहते हैं. शिवपाल सिंह यादव के इस बयान से अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिवपाल सिंह यादव अपने परिवार से जुड़ना चाहते हैं, लेकिन किन्ही कारणों से वह नहीं जुड़ पा रहे हैं.


अखिलेश ने दिया था एक सीट का ऑफर

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भले ही प्रदेश मुख्यालय में आयोजित होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस में लगातार इस बात का दावा करते हैं कि छोटे दलों के दरवाजे समाजवादी पार्टी के लिए खुले हैं. आने वाले 2022 के विधानसभा चुनाव में छोटे दलों के साथ समाजवादी पार्टी गठबंधन कर सकती है, लेकिन जब चाचा शिवपाल सिंह यादव की बात आती है तो उन्हें एक सीट देने की बात करते हैं. ऐसे में अखिलेश यादव के इन बयानों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे अपने चाचा शिवपाल के प्रति गंभीर नहीं हैं.

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ओवैसी से हाथ मिलाते हैं तो भतीजे को होगा नुकसान

राजनीतिक विश्लेषक राज बहादुर सिंह ने ETV भारत से बातचीत करते हुए कहा कि शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी से अलग होने के बाद राजनीतिक दल का गठन जरूर किया, लेकिन वह हाशिए पर आ गए हैं. शिवपाल सिंह यादव चाहते हैं कि वे समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करें और उन्हें एक मजबूत प्लेटफार्म मिले पर अखिलेश यादव यह नहीं चाहते हैं कि शिवपाल सिंह यादव एक बार फिर से मजबूत स्तंभ बनकर उभरें. पूर्वांचल में जिस तरह से ओवैसी, ओमप्रकाश राजभर के साथ मोर्चा बनाकर 2022 के चुनाव की तैयारियां कर रहे हैं. ओवैसी की एंट्री से सबसे ज्यादा नुकसान समाजवादी पार्टी को होता दिख रहा है और निश्चित रूप से शिवपाल सिंह यादव ओवैसी से हाथ मिलाते हैं तो इसका खामियाजा समाजवादी पार्टी को भुगतना पड़ेगा.

Last Updated : Jun 10, 2021, 7:27 PM IST

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