लखनऊ :सदियों से चली आ रही रमजान के परंपरागत जुलूस पर कोरोना की मार देखने को मिली है. हजरत अली की याद में जुलूस थाना सहादतगंज के काजमैन से बड़ी अकीदत के साथ निकाला जाता था. यह जुलूस 19वीं रमजान की सुबह चार बजे निकलता था, जिसमें शिया समुदाय के हजारों लोग नम आंखों से शिरकत करते थे और हजरत अली के ताबूत को कंधा देते थे, लेकिन इस बार कोरोना महामारी की वजह से जुलूस नहीं निकला.
बता दें कि आज 19 रमजान की सुबह लगभग 1400 साल पहले हजरत अली को जरबत (तलवार) लगी थी, जिसका शोक जुलूस के रूप में देखने को मिलता था. थाना सहादतगंज के काजमैन रोजे से शिया समुदाय के हजारों लोग नम आंखों से हजरत अली के जुलूस को कंधा देते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पाया. कोरोना महामारी की वजह से प्रशासन ने यह जुलूस निरस्त कर दिया है. वहीं धर्मगुरुओं ने भी इसका समर्थन किया है और कोरोना जैसी महामारी को फैलने से रोकने के लिए इस जुलूस को स्थगित कर दिया है. हर साल हजारों की तादाद में शिया समुदाय के लोग इस जुलूस में शिरकत करते थे और मातम कर नम आंखों से हजरत अली को याद करते थे.