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कानपुर: बचपन में बिछड़े भाई-बहन, अब चिड़ियाघर में बने पड़ोसी

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में पीलीभीत टाइगर रिजर्व के आस-पास लोगों को अपना शिकार बनाने वाली आदमखोर बाघिन को कानपुर जू लाया गया है. बाघिन मालती को चिड़ियाघर में बचपन में बिछड़े उसके भाई मल्लू के बगल वाले पिंजरे में रखा गया है.

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चिड़ियाघर के पिंजरे में बंद बाघिन मालती.

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Published : Jun 13, 2020, 9:53 PM IST

Updated : Jun 14, 2020, 2:59 PM IST

कानपुर: पीलीभीत टाइगर रिजर्व के आस-पास लोगों को अपना शिकार बनाने वाली आदमखोर बाघिन को वाइल्ड लाइफ और कई प्राणी उद्यानों के विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुभव से पकड़ा गया है. इसे कानपुर चिड़ियाघर लाकर रखा गया गया है. चिड़ियाघर में बाघिन मालती को बचपन में बिछड़े उसके भाई मल्लू का पड़ोसी बनाया गया है. कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण अभी चिड़ियाघर को आम लोगों के लिए बंद रखा गया है.

चिड़ियाघर में बने पड़ोसी बचपन में बिछड़े बाघ और बाघिन.

सालों पहले बिछड़ गए थे भाई-बहन
पीलीभीत के टाइगर रिजर्व में 4 साल पहले एक बाघिन ने दोनों बच्चों को जन्म दिया था. दो साल पहले इनमें से एक बच्चा अपने परिवार से अलग होकर बाहर निकल गया. शुरू में वह टाइगर रिजर्व के अंदर ही शिकार करता था, लेकिन धीरे-धीरे आस-पास शिकार खोजने लगा. इस बीच उसने जानवरों के धोखे में कई लोगों को घायल कर दिया. साथ ही 4 लोगों को अपना शिकार भी बनाया. मल्लू को चार माह पहले पकड़ कर चिड़ियाघर में लाया गया था. वहीं भाई से अलग हो जाने के बाद बहन बाघिन ने अपने परिवार के भरण-पोषण का जिम्मा उठाया. उसने भी पीलीभीत टाइगर रिजर्व के आस-पास के क्षेत्रों में कई लोगों पर हमला किया. अभी दो दिन पहले ही उसने हमला कर एक व्यक्ति को गंभीर रूप से घायल कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई. अब दोनों कानपुर चिड़ियाघर में हैं.

मां पीलीभीत टाइगर रिजर्व में कर रही भ्रमण
कानपुर चिड़ियाघर में बंद मल्लू और मालती की मां पीलीभीत टाइगर रिजर्व में भ्रमण कर रही है. प्राणी उद्यान के चिकित्सक नासिर ने बताया कि चार माह पहले, जिस बाघ मल्लू को लाया गया था, वह बाघिन मालती का भाई है. डॉक्टर नासिर ने बताया कि इन दोनों की उम्र लगभग बराबर है और इनके शरीर पर जो स्ट्रिप है वह भी एक जैसी ही है. इतना ही नहीं दोनों की आदत भी एक-दूसरे से काफी मिलती है. दोनों को बचपन में एक साथ घूमते भी देखा गया था.


1970 में बना था कानपुर प्राणी उद्यान
कानपुर का चिड़ियाघर अन्य चिड़ियाघरों से बिल्कुल अलग है. इसकी वजह यह है कि चिड़ियाघर बनने से पहले यह एक रिजर्व फॉरेस्ट एरिया था. इसको साल 1970 में प्राणी उद्यान में तब्दील कर दिया गया. इस कारण यहां रहने वाले जानवरों को यह जंगल की तरह ही लगता है. प्राणी उद्यान में मौजूदा समय में कुल 10 बाघ हैं.

Last Updated : Jun 14, 2020, 2:59 PM IST

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