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पानी का कहर, ग्रामीण छतों पर कर रहे गुजर-बसर

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Published : Aug 4, 2021, 5:35 PM IST

यूपी के कानपुर में लगातार हो रही बारिश से पांडु नदी उफान पर है. जिसके चलते नदी के किनारे बसे गांवों में पानी घुस गया है. पानी घुसने के कारण ग्रामीण छतों पर रहने को मजबूर हैं.

गांव में घुसा पांडु नदी का पानी.
गांव में घुसा पांडु नदी का पानी.

कानपुर:जिले में कई दिनों से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश कई गांवों के लिए मुसीबत बन गई है. लगातार बारिश से पांडु नदी का लगातार जलस्तर बढ़ रहा है, जिससे नदी के किनारे बसे ग्रामीणों का जीवन संकट में आ गया है. पानी गांवों में घुस गया है, जिसके वजह से ग्रामीण छत पर रहने और पलायन करने को मजबूर हैं. आलम यह है कि गांव में नाव के सहारे से ग्रामीण इधर-उधर जा रहे हैं.

गांव में घुसा पांडु नदी का पानी.

लगातार हो रही बारिश से पांडु नदी उफान पर है, जिसके चलते पांडु नदी से सटे पनकी क्षेत्र के पंक बहादुर नगर और आसपास गांव की बस्तियां जलमग्न हो गई हैं. लगभग दो दर्जन से ज्यादा लोग घरों की छतों पर रहने को मजबूर है. जबकि कुछ लोग गांव से ही पलायन करने को मजबूर हैं. बाढ़ से प्रभावित पंक बहादुर नगर के निवासी कई दिनों से छतों में रह कर गुजारा कर रहे हैं. हालात अब यह हो गए हैं कि यहां के लोगों खाने और पीने तक की दिक्कत होने लगी है. इसके बावजूद अभी तक प्रशासन की ओर से सुध नहीं ली गई.

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गांव के लोगों का आरोप है कि कानपुर विकास प्राधिकरण (Kanpur Development Authority) ने न्यू ट्रांसपोर्ट नगर बनाया है. न्यू ट्रांसपोर्ट नगर को बचाने के लिए पांडु नदी से सटाकर RCC की दीवार बना दी है, जिसके कारण प्रति वर्ष गांव के रहने वाले लोगो को बाढ़ की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि जिम्मेदार अधिकारी और विधायक इस समस्या की तरफ ध्यान नहीं देते, जिससे उन्हें हर साल बारिश के मौसम में दुश्वारियां झेलनी पड़ती हैं. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में जलभराव के बारे में कई बार क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और आलाअधिकारियों तक सूचना दी. इसके बावजूद अभी तक कोई भी प्रशासनिक और जनप्रतिनिधि मदद के लिए नहीं आया है.

बता दें कि सचेंडी के लाल्हेपुर गांव में रिंद नदी का जलस्तर बढ़ने से गांव में पानी भर गया है. सैकड़ों बीघा फसल डूब गई है. पानी के कारण ग्रामीणों का आवागमन ठप हो गया है. इससे कच्चे मकान ढहने का खतरा बढ़ गया है. सैकड़ों ग्रामीण घर छोड़कर जरूरी सामान लेकर ऊंचे स्थानों पर तिरपाल डालकर गुजारा कर रहे हैं. यहां कम से कम 500 घर डूब गए हैं, लोग लगभग 100 घर खाली करके जा चुके हैं.

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