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'मीना मंच' से बालिकाओं का होता है सर्वांगीण विकास

यूनिसेफ ने बालिकाओं में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए मीना कार्यक्रम की शुरुआत की थी. इस मंच के माध्यम से बच्चियों में आत्मविश्वास और समाज में बढ़ रहीं कुरीतियों के बारे में जागरूक किया जाता है.

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Published : Sep 11, 2019, 5:00 PM IST

मीना एक काल्पनिक कार्टून चरित्र

जौनपुर:यूनिसेफ ने बालिकाओं में शिक्षा के स्तर में सुधार करने के साथ बालिकाओं को जागरूक करने के लिए मीना कार्यक्रम की शुरुआत की. मीना एक काल्पनिक नाम है जिसके सहारे 10 से 15 साल की बालिकाओं में हो रहे शारीरिक परिवर्तन एवं हार्मोंस के बारे में जागरूक किया जाता है. यूनिसेफ द्वारा रेडियो पर भी 'मीना की दुनिया नामक' प्रोग्राम का आयोजन कराया गया. इसमें 103 एपिसोड आकाशवाणी के विभिन्न केंद्रों से प्रसारित किए गए. मीना मंच के सहारे बालिकाएं कुरीतियों, अभिव्यक्ति एवं लिंग विभेद के बारे में खुलकर विचार रखने का काम करती हैं.

देखे वीडियो.

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मीना मंच के सहारे प्राथमिक उच्च माध्यमिक स्तर एवं कस्तूरबा विद्यालय की बालिकाओं में शिक्षा के विकास, बच्चों के शोषण के प्रति चुप्पी तोड़ने, सशक्तिकरण, रोजगार एवं व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने के लिए स्कूलों में जागरूक करने का काम किया जा रहा है. इसमें गुड टच और बैड टच, आत्मरक्षा, सामाजिक कुरीतियां, अंधविश्वास, भ्रांतियों के बारे में भी बताने का काम किया जा रहा है, जिससे बच्चियों में जागरूकता लाकर उनका विकास किया जा सकें.

मीना मंच की परिकल्पना
मीना एक काल्पनिक कार्टून चरित्र है जिसको बांग्लादेशी कार्टूनिस्ट मुस्तफा मोनवार ने बनाया है. दक्षिण एशिया में बालिकाओं की शिक्षा के स्तर में सुधार करने के लिए 1990 में यूनिसेफ द्वारा मीना की कल्पना की गई. 24 सितंबर 1998 में उच्च प्राथमिक स्तर पर लागू किया गया. 2010 में उत्तर प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालय में लागू किया. सन 2013 में प्राथमिक उच्च प्राथमिक स्तर एवं कस्तूरबा विद्यालय में भी लागू किया गया.

बालिका पायल यादव ने बताया कि मीना मंच के सहारे लिंग विभेद के बारे में बताया जाता है. सामाजिक कुरीतियों से जागरूक करने का काम किया जाता है. यहां मीना मंच के माध्यम से हम अपनी बातें एक-दूसरे से शेयर करते हैं और एक-दूसरे को जागरूक करने का भी काम करते हैं.

नोडल अधिकारी रानी ये बोलीं
मीना मंच की नोडल अधिकारी रानी बताती हैं कि इसके माध्यम से तमाम कुरीतियों, भ्रांतियों, अंधविश्वास, गुड टच और बैड टच के बारे में बच्चों को बताया जाता है. रानी कहती हैं कि बच्चियों में आत्मविश्वास जगाया जाता है. नारी सशक्तिकरण के साथ-साथ रोजगार, शिक्षा, व्यक्तिगत स्वच्छता के लिए जागरूक करने का काम करते हैं. बालिकाओं में माहवारी पीरियड आने पर उन्हें स्वच्छता रखने एवं दो-तीन घंटे में पैड बदलने की जानकारी दी जाती है, जिससे उनकी व्यक्तिगत स्वच्छता बनी रहे.

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