हमीरपुर: जिले में आपदाओं की मार झेलने वाले युवा रोजगार न मिलने के चलते वर्षों से पलायन को मजबूर हैं. जिन युवाओं ने पलायन नहीं किया वह दो जून की रोटी जुटाने की जुगत में जिंदगी दांव पर लगाने को मजबूर हैं.
खूनी हाईवे के नाम से बदनाम एनएच 34 पर जान हथेली पर रखकर युवा बेतवा नदी से मौरंग निकालकर आस-पास के बाजारों में बेचते हैं. हाईवे पर चलने वाले बेलगाम ट्रकों की चपेट में आकर कई युवा अपनी जिंदगी तक गंवा चुके हैं, लेकिन पेट की खातिर यह युवा तमाम खतरे मोल लेकर मौरंग ढोने को मजबूर हैं.
- युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने कई प्रयास किए हैं.
- सरकार के प्रयास सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गए.
- उद्योग स्थापित करने के लिए लखनऊ में आयोजित इन्वेस्टर मीट में कई उद्योगपतियों ने उद्योग लगाने के लिए एमओयू साइन किए थे.
- बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध न होने के कारण उनके प्रोजेक्ट परवान नहीं चढ़ सके.
- सिंचाई के पर्याप्त साधन न होने कारण खेती भी घाटे का सौदा साबित होने लगी.
- गरीब तबके के लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा होने लगा है.