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वेलेंटाइन डे को बच्चों ने मनाया मातृ-पितृ पूजन दिवस

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Published : Feb 15, 2019, 10:35 AM IST

पाश्चात्य शैली हमारी संस्कृति पर हावी होती जा रही है. ऐसे में आने वाली पीढ़ी को अपनेपन से जुड़े रहने को लेकर खोराबार के कालिंदी पब्लिक स्कूल में वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाया गया. जिसमें बच्चों ने बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया.

मातृ-पितृ पूजन दिवस

गोरखपुर: वैसे तो 14 फरवरी का दिन युवाओं के लिए एक-दूसरे को समर्पित प्रेम को दर्शाने के लिए वेलेंटाइन डे के नाम से जाना जाता है, लेकिन इस परम्परा को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में स्कूलों में मनाया जा रहा है. इस दिन हमारी आने वाली पीढ़ी ने अपना वेलेंटाइन अपने माता-पिता को मानकर पूरे विधिविधान से पूजन किया, जिससे माता-पिता के प्रति प्रेम भावना जागृत हो सके.

वैलेन्टाइन डे को बच्चों ने मनाया मातृ-पितृ पूजन दिवस


पाश्चात्य शैली को बदलते हुए एक नया प्रयास खोराबार के कालिंदी पब्लिक स्कूल में किया जा रहा है, जहां पर बच्चों को सबसे ज्यादा प्रेम करने वाले माता-पिता को देव तुल्य मान आज के दिन को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. बच्चों ने अपने माता-पिता के सामने कई सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किये और अपने गीतों के माध्यम से अपनी भावनाओं को जताया.

इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि वित्त राज्य मंत्री शिवप्रताप शुक्ला शामिल हुए. कार्यक्रम की शुरुआत सर्वप्रथम भारत माता की मूर्ति पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित कर किया गया, कार्यक्रम को देखने के बाद मुख्य अतिथि ने आयोजकों को आभार ज्ञापित करते हुए बच्चों की सराहना की. मातृ-पितृ पूजन दिवस का मुख्य उद्देश्य बच्चों में माता-पिता के प्रति प्यार, सम्मान और भारतीय संस्कृति को बनाये रखना. कार्यक्रम में बच्चों ने पूरे विधि-विधान के साथ अपने माता-पिता का तिलक लगाकर आरती उतारते हुए उनकी परिक्रमा की और चरण स्पर्श करने के बाद अपने माता-पिता से आशीष प्राप्त किया. कार्यक्रम में कई अभिभावक बच्चों सम्मान पाकर भाव विभोर हो गया और उनकी आंखें नम हो गई.

वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि जहां एक तरफ लोग आज के दिन वेलेंटाइन डे को एक दूसरे के साथ गुलाब देकर मना रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इस स्कूल में एक अलग अंदाज में माता पिता दिवस के रूप में आज के दिन को मनाया जा रहा है. जहां बच्चों को एक ऐसी शिक्षा और संस्कार दिया गया, जिसे देख कर हर कोई भाव विभोर हो गया. कहते हैं कि धरती पर माता-पिता बच्चों के सबसे बड़े गुरु और पहली पाठशाला उन्हीं से शुरू होती है, बच्चों के जीवन में संस्कार डालने का पहला काम घर पर माता पिता ही करते हैं और आजीवन उनके लिए सुरक्षा कवच का काम करते हैं, लेकिन आज के दौर पर जब बच्चे अपने बुजुर्ग माता-पिता को ओल्ड एज होम में भेजने को लगे हैं, ऐसे में आवश्यकता है इस बात की कि बच्चों को बचपन से ही ऐसे संस्कार दिए जाये की वह ता उम्र अपने माता पिता को अपना आदर्श मानते रहे.

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