गोरखपुर: सत्ता और सरकार में रहने वाली राजनीति पार्टी सत्ता में वापसी के लिए सभी प्रकार के दांव आजमाने की कोशिश करती है. भारतीय जनता पार्टी कुछ ऐसे ही परिणाम के लिए कठोर निर्णय लेने की तैयारी में दिखाई दे रही है खासकर गोरखपुर जिले में. जिले की 9 विधानसभा सीटों में 8 विधानसभा सीटों पर 2017 के चुनाव में बीजेपी के विधायक चुने गए हैं, लेकिन आने वाले 2022 के विधानसभा चुनाव में इन 8 में से 4 का टिकट कटना लगभग तय हो गया हैं. वहीं, बाकी 5 सीटों में बीजेपी एक पर चुनाव हारी थी.
पार्टी ने यह भी तय किया है कि हारे हुए प्रत्याशी को चुनाव मैदान में नहीं उतारेंगे. ऐसे में माना जा रहा है कि चिल्लूपार विधानसभा सीट पर पूर्व के प्रत्याशी राजेश त्रिपाठी की जगह कोई नया चेहरा मैदान में लाया जा सकता है. बसपा से भाजपा में आए राजेश त्रिपाठी को बीजेपी चुनाव से पहले संभवत संगठन में कहीं एडजेस्ट भी कर सकती है. उनकी पहचान क्षेत्र में संघर्षरत और धार्मिक कार्यों में सजग रहने वाले नेता की मानी जाती है. इन चारों सीट पर जो गणित बन रही है उसका फीडबैक संघ और बीजेपी ने लेने के बाद, प्रत्याशी परिवर्तन और नए नामों पर मंथन भी शुरू कर दिया है.
गोरखपुर की जिन 4 विधानसभा सीटों के बीजेपी विधायकों के टिकट कट सकते हैं उनमें सहजनवा, बांसगांव, चौरी-चौरा और खजनी शामिल हैं. इन सीटों पर ऐसे संकेत इसलिए मिल रहे हैं क्योंकि सहजनवा के बीजेपी विधायक शीतल पांडेय अपनी उम्र और स्वास्थ्य की वजह से अपने टिकट को गवां सकते हैं. खजनी के विधायक संत प्रसाद भी अपनी उम्र और सक्रियता में कमी की वजह से टिकट पाने से वंचित हो सकते हैं. हालांकि वह तीन बार विधायक चुने जा चुके हैं.
बांसगांव विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉक्टर विमलेश पासवान लोगों में अपनी लोकप्रियता स्थापित न कर पाने और मिलनसार व्यक्तित्व न होने से अपना टिकट गवां सकते हैं. हालांकि इन्हें टिकट भी इनके बड़े भाई भाजपा सांसद कमलेश पासवान की वजह से मिला था. इनका अपना कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं है. बात करें चौरी चौरा विधानसभा क्षेत्र की तो 2017 में पहली बार इस सीट से महिला प्रत्याशी के रूप में संगीता यादव चुनी गई थीं.