गोरखपुरः शिक्षा का अधिकार (राइट टू एजुकेशन) को लेकर तमाम दावे करने वाली प्रदेश सरकार विद्यालयों में बच्चों के फीस का भुगतान नहीं कर रही है. जिले में पिछले 2 सालों में स्कूलों का बेसिक शिक्षा विभाग पर करीब 8 करोड़ 40 लाख रुपये बकाया हो गया है. जिले में कुल 239 स्कूलों में हजारों बच्चों का दाखिल हुआ. लेकिन इनकी फीस स्कूलों को नहीं मिली और इसी बीच एक बार फिर नया शिक्षा सत्र शुरू होने जा रहा है. ऐसे में बकाया फीस के भुगतान के लिए स्कूलों ने बेसिक शिक्षा विभाग पर दबाव बनाया है. स्कूल संचालक भुगतान न होने की स्थिति में बच्चों का दाखिला नहीं लेने की बात कह रहे हैं.
दरअसल बेसिक शिक्षा विभाग के निर्देश पर निजी स्कूलों में आरटीई के तहत प्री प्राइमरी और कक्षा एक में दाखिला दिया जाता है. इसमें 25% दाखिला आरटीई (राइट टू एजुकेशन) के तहत दिए जाने का प्रावधान है. दाखिला होने के बाद विद्यार्थियों के आठवीं तक की शिक्षा आरटीई के तहत ही होती है. शिक्षा विभाग प्रति विद्यार्थी अधिकतम 450 रुपये प्रति माह के हिसाब से करीब 5 हजार 400 सालाना फीस स्कूलों को भेजता है, जो एक ही बार में सत्र समाप्त होने के बाद स्कूलों के खाते में भेजी जाती है.
फिलाहल स्थिति हकीकत से एकदम उलट है. एक तरफ शैक्षणिक सत्र 2022-23 समाप्त होने को है तो वहीं अभी तक सत्र 2020-21और 2021-22 की प्रतिपूर्ति विद्यालयों को नहीं मिली है. यही नहीं कुछ विद्यालय तो ऐसे हैं जो करीब 4 साल से अपने बकाए की रकम का इंतजार कर रहे हैं. शासन से स्कूलों की पूर्ति के बजाय सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है. जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी रमेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि बकाया भुगतान को लेकर प्रयास हुआ है. उम्मीद है कि 31 मार्च तक बजट प्राप्त हो जाएगा. स्कूलों को भुगतान की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी. कोविड-19 में कुछ परिस्थितियां बदली, जिससे यह विलंब हुआ है. लेकिन भुगतान होगा.