गोरखपुर:शहर का घंटाघर चौक, स्वतंत्रता आंदोलन की गाथा और एक ऐसे वीर बलिदानी की शहादत की गौरव यात्रा को अपने भीतर समेटे हुए है, जहां से शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की मां ने एक ऐसा मार्मिक भाषण दिया था. जिससे उस समय के युवा और देश प्रेमियों में देशभक्ति की ज्वाला फूट पड़ी थी. जब-जब पंडित राम प्रसाद बिस्मिल का शहादत दिवस आता है. गोरखपुर का घंटाघर चौक उनकी याद को ताजा कर देता है.
गोरखपुर के मंडलीय कारागार में फांसी के बाद बिस्मिल की शव यात्रा शहर के विभिन्न चौक से होते हुए इसी घंटाघर चौक पर आकर रुकी थी. जहां हजारों की भीड़ ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए थे. आज भी यह चौक वीर सपूत की यादों से पटा पड़ा है.
बिस्मिल की मां ने दिया था शव यात्रा के दौरान मार्मिक भाषण
19 दिसंबर 1927 को गोरखपुर के मंडलीय कारागार में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को फांसी दी गई थी. मौजूदा समय में जहां घंटाघर की मीनार खड़ी है. वहां 1857 के समय में पाकड़ का एक विशाल पेड़ हुआ करता था. जिसपर दर्जनों सेनानियों को फांसी दी गई थी. महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की शव यात्रा भी यहीं रुकी थी. यहीं पर उनकी मां ने प्रेरणादाई भाषण दिया था. जिसके बाद से यह स्थान पूरी तरह से पंडित बिस्मिल को समर्पित हो गया. हालांकि, घंटाघर का निर्माण पाकड़ के उस पेड़ के स्थान पर 1930 में रायगंज के तत्कालीन सेठ रामखेलावन और सेठ ठाकुर प्रसाद को जाता है. जिन्होंने अपने पिता सेठ चिगान साहू की याद में बनवाया था. जिसपर बिस्मिल की यादें लिपटी पड़ी हुई है.