गोरखपुर: जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव 2022 करीब आता जा रहा है राजनीतिक पार्टियों में उथल-पुथल, खींचतान सामने आने लगी है. यूपी में भाजपा के साथ गठबंधन करने वाली निषाद पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और वरिष्ठ व्यापारी नेता मक्खन लाल गोयल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. गोयल निषाद पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारी होने के साथ ही उत्तर प्रदेश व्यापार संगठन के प्रांतीय संगठन मंत्री भी हैं. वह गोरखपुर में व्यापारियों के हित में आवाज उठाने वाले अभिभावक की भूमिका में नजर आते हैं. उन्होंने निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद पर परिवारवाद और व्यक्तिवाद को बढ़ाने का आरोप लगाते हुए अपना त्यागपत्र दिया है. गोयल ने कहा है कि व्यापारी, राजनीति से भी जुड़ा हो तो उसका पहला हित व्यापारियों का हित और मान सुरक्षा होती है, लेकिन निषाद पार्टी के मुखिया सिर्फ अपने हितों को साधने के पीछे न तो व्यापारियों के हित की चिंता कर रहे हैं और न ही उन्हें उचित सम्मान दे रहे हैं. ऐसे में पार्टी में बने रहने का कोई मतलब नहीं.
उन्होंने कहा कि संजय निषाद के पुत्र प्रवीण निषाद को गोरखपुर जैसी लोकसभा सीट पर 2018 में हुए उपचुनाव में मिली विजय में उनके नेतृत्व में व्यापारियों के बड़े समूह का समर्थन का मिलना रहा है. खलीलाबाद लोकसभा सीट को भी जिताने में उनके नेतृत्व में व्यापारियों ने काम किया, लेकिन पिछले कुछ महीनों से संजय निषाद अपने और अपने परिवार के सिवा पार्टी के किसी राष्ट्रीय पदाधिकारी को भी साथ लेकर चलने का काम नहीं कर रहे. दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलने की बात हो या फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से, वह कहीं पर भी खुद के सिवा पार्टी के अन्य पदाधिकारियों को सम्मान नहीं दे रहे. गोरखपुर में दो-दो व्यापारियों की हत्या हुई निषाद पार्टी के नेता के रूप में वह खामोश रहे. ऐसे में मान सम्मान को गिरवी रखकर राजनीति करना कहीं से भी उचित नहीं है.
उन्होंने कहा कि चुनावी समय में उनसे कई राजनीतिक पार्टियों के लोग संपर्क में हैं, लेकिन फैसला दल में जाने का वह अपने उन सहयोगियों के साथ करेंगे जो आज उनके साथ निषाद पार्टी को छोड़ कर उनके साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी दल में जाने के साथ उनका पहला उद्देश्य व्यापारी हित और सुरक्षा का है. जिस दल में ऐसा भरोसा जगेगा उसमें वह और उनकी टीम जॉइन करेगी.