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विधवाओं की पीड़ा पर आधारित कविता सुन लोगों का भावुक हुआ मन - चौरी चौरा

चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में 9 कविरत्नों ने प्रतिभाग किया. शहीद विधवाओं के वैधव्य की पीड़ा को आकृति विज्ञा अर्पण कविता के माध्यम से गाकर सुनाया.

कवि सम्मेलन.
कवि सम्मेलन.

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Published : Feb 5, 2021, 5:59 PM IST

गोरखपुरः चौरी-चौरा शताब्दी महोत्सव में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में 9 कविरत्नों ने प्रतिभाग किया. शहीद विधवाओं के वैधव्य की पीड़ा को आकृति विज्ञा अर्पण कविता के माध्यम से गाकर सुनाया. इसका शीर्षक था. 'सेनुरा मिटाके ये सेइया कहा चल गईलअ'. इसकी पंक्तियां हैं. 'अचके में सेनुरा मिटाई ये सईया कहा चल गइला', सगरो मोर चूड़ी चटकाय ये सईया कहा चल गइला'.

चौरी चौरा शताब्दी कार्यक्रम.

विधवा के पति का सपने में उत्तर देते हुए कविता में आगे की पंकितयां हैं कि 'सब महतारीं ले एक महतारीं उहे भारत मईया मोरे प्रणवा से प्यारी. उनही के बचन निभाई ये धना यहां चलि आईली'. इसके अलावा कई कवियों ने अपने अपने अलग विचार रखे.

गोरखपुर जिले में गुरुवार को 4 फरवरी 1922 के चौरी चौरा जनांदोलन की शताब्दी महोत्सव का शुभारंभ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल संबोधन से किया था. चौरी चौरा के शहीद स्मारक परिसर में सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्वयं बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया था. राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल भी वर्चुअल सम्मलित हुईं.

ईटीवी भारत पर बोलते हुए आकृति विज्ञा अर्पण ने बताया कि उनकी कविता में सपने में एक शहीद बता रहा है की देश में बहुत सारी माताएं हैं. उनसे भी बड़ी मां भारत मां है. सहादत के वचन को पूरा करने के लिए एक शहीद सहादत को प्राप्त होता है.

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