गोरखपुर :कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे गांधी आश्रम के हाथ से इस बार ठंड के मौसम में गरीबों के बीच वितरित किए जाने वाले कंबल की आपूर्ति का काम भी छिन गया है. राजस्व विभाग ने इसकी आपूर्ति के लिए टेंडर की जो प्रक्रिया बनाई थी, उसमें गांधी आश्रम फिट नहीं बैठ रहा था. यही वजह है कि पिछले वर्षों में कंबल की सप्लाई देता आ रहा गांधी आश्रम एक प्राइवेट फर्म के आगे इस आपूर्ति को पाने से वंचित हो गया.
कंबल आपूर्ति की रेस से बाहर हुआ गांधी आश्रम, दूसरी फर्म से कंबल लेगा प्रशासन
गरीबों के बीच बंटने वाले कंबल की सप्लाई का टेंडर इस बार गांधी आश्रम को नहीं मिला. हर बार की तरह इस बार भी गांधी आश्रम को उम्मीद थी कि गरीबों के बीच बंटने वाले कंबल का टेंडर उसे ही मिलेगा. आखिर गांधी आश्रम किस वजह से टेंडर पाने में चूक गया? पढ़िए यह रिपोर्ट.
ऑनलाइन डेटा होगा तैयार
जिले के अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व राजेश कुमार सिंह ने कहा कि जो संस्था टेंडर में ही शामिल नहीं हुई, वह तो बाहर हो ही जाएगी. फिलहाल जरूरतमंद लोगों के बीच कंबल का वितरण शुरू करने के लिए 8 हजार कंबल मंगा लिए गये हैं. जिन्हें कंबल मिलेगा उनका ऑनलाइन डेटा भी तैयार किया जाएगा.
जिले के हर तहसील में बंटेंगे 30 हजार कंबल
गोरखपुर में तहसीलों के माध्यम से करीब 30 हजार से अधिक कंबल की खरीद और उनका वितरण किया जाना है. इस बार जो फर्म आपूर्ति कर रही है वह 360 रुपये में एक कंबल देगी, जबकि पिछली बार इसकी खरीदारी 406 रुपये में की गई थी. फिलहाल अभी 8000 कंबल दोनों फर्मों के माध्यम से मंगाकर प्रशासन बंटवाने में जुटा है. वहीं इस प्रक्रिया से बाहर हुआ गांधी आश्रम अगले दौर में ना पिछड़े, इसके लिए जेम पोर्टल पर उसने अपना पंजीकरण करा लिया है. क्षेत्रीय गांधी आश्रम के मंत्री विशेश्वर तिवारी ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि कोरोना काल में उन्हें अत्यधिक घाटा हुआ है. इस टेंडर से बाहर होने का भी दुःख है. साथ ही अत्यधिक भरोसा भी लापरवाही का कारण बना.