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बोले बेसिक शिक्षा मंत्री- देश की शिक्षा व्यवस्था को लार्ड मैकाले से ज्यादा कपिल सिब्बल ने बर्बाद किया

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी ने कांग्रेस पर साधा निशाना. उन्होंने कहा कि कपिल सिब्बल की नीतियों ने शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर दिया.

बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी से ईटीवी की खास बातचीत.

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Published : Oct 15, 2019, 8:25 PM IST

Updated : Oct 16, 2019, 2:06 PM IST

गोरखपुर:ईटीवी भारत ने बेसिक शिक्षा मंत्री से खास बातचीत की. इस दौरान प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी ने कहा है कि देश की शिक्षा व्यवस्था को लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति ने जितना नुकसान नहीं पहुंचाया उससे कहीं ज्यादा यूपीए सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री रहे कपिल सिब्बल की नीतियों ने शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर दिया.

बेसिक शिक्षा मंत्री मंगलवार को ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की. उन्होंने कहा कि कपिल सिब्बल के पास कोई भी प्रतिनिधि मंडल जाकर शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए जो प्रस्ताव देता था, उसे बिना सोचे समझे वह लागू करने का फरमान जारी कर देते थे. इसका शिक्षा व्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में केंद्र और प्रदेश की सरकार देश की शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश कर रही है, जो आजादी के 70 सालों में पटरी से उतर गई है.

बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी से ईटीवी की खास बातचीत.

प्रतियोगी परीक्षाओं का होगा पूर्वाभ्यास
उनका कहना है कि देश के बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं और बोर्ड की परीक्षाओं में पूरे ठीक मनोदशा के साथ शामिल हों, इसके लिए जरूरी है उनको प्रतियोगी परीक्षा के लायक बनाया जाए. यूपी के प्राथमिक स्कूलों में पांचवी और आठवीं कक्षा के छात्रों को बोर्ड परीक्षा में बैठाने की व्यवस्था शुरू की जा रही है, जिससे वह खुद को तैयार कर सकें और किसी भी तरह के मानसिक दबाव से बाहर आ सकें.

मंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा कि उनका मानना है कि परीक्षा में असफलता के बाद आत्महत्या जैसे कदम उठाने की जो घटनाएं बढ़ रही हैं, वह इसलिए हो रही है क्योंकि छात्रों को प्रतियोगी परीक्षा में बैठने का पूर्वाभ्यास नहीं है. सतीश द्विवेदी ने कहा कि योगी सरकार में यूपी की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने का पूरा प्रयास जारी है. मंत्री ने यह भी कहा कि प्राथमिक शिक्षा में गुणात्मक सुधार और भारतीय शिक्षा पद्धति से भी विद्यार्थियों को जोड़ा जा रहा है.

तीसरी क्लास से ही संस्कृत और अंग्रेजी विषय अनिवार्य
कक्षा 3 से ही स्कूलों में संस्कृत और अंग्रेजी दोनों विषयों की पढ़ाई बच्चों के लिए अनिवार्य की जा रही है. वहीं शिक्षकों का समय-समय पर सेमिनार के माध्यम से बौद्धिक स्तर भी बढ़ाया जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य शिक्षक पुरस्कार की संख्या में भी वृद्धि की गई है. इस दौरान उन्हें मिलने वाली पुरस्कार राशि में भी इजाफा किया गया है. बच्चों को कॉपी- किताब और ड्रेस समय से मिल रहे हैं तो स्कूलों में जरूरी अवस्थापना सुविधाओं को भी बेहतर बनाने के प्रयास में सरकार जुटी है.

Last Updated : Oct 16, 2019, 2:06 PM IST

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