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अब्दुल हमीद जन्मदिन विशेष: 1965 के युद्ध में गन माउनटेड जीप से तबाह कर दिए थे 8 अमेरिकी पैंटन टैंक

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Published : Jul 1, 2021, 2:22 PM IST

Updated : Jul 1, 2021, 2:39 PM IST

अब्दुल हमीद(Abdul Hameed) का जन्म 1 जुलाई 1933 को यूपी के गाजीपुर में हुआ था. 20 साल की उम्र में वे सेना में शामिल हुए थे. 1965 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में पंजाब के खेमकरण सेक्टर (Khemkaran Sector) में परमवीर अब्दुल हमीद ने 8 पाकिस्तानी पैंटन टैंकों (panton tanks) को तबाह तक दिया था. इस युद्ध में आठवां पैंटन टैंक तबाह करते समय गोला लगने से वे शहादत को प्राप्त हुए थे. युद्ध में अदम्य वीरता और साहस के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र (paramvir chakra) से सम्मानित किया गया था.

अब्दुल हमीद जन्मदिन विशेष
अब्दुल हमीद जन्मदिन विशेष

गाजीपुर:राष्ट्र निर्माण में सेना का अहम योगदान रहा है और सेना के शूरवीरों ने हमेशा से ही देश के लिए कुर्बानी दी है. ऐसे ही एक योद्धा थे भारतीय सेना के अब्दुल हमीद. 1965 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध (war with pakistan) के दौरान खेमकरण सेक्टर में असल उत्ताड़ गांव अब्दुल हमीद (Abdul Hameed) ने अपनी गन माउनटेड जीप (gun mounted jeep) से पाकिस्तान के पैंटन टैंक(panton tanks) का कब्रिस्तान बना दिया. अब्दुल हमीद (Abdul Hameed) ने अपनी जीप पर बैठकर पाकिस्तान के एक-दो नहीं बल्कि आठ-आठ पैंटन टैंकों को बर्बाद कर दिया था.आठवां टैंक बर्बाद करते समय गोला लगने से वह शहीद हो गए थे. इस युद्ध में दिखाई गई उनकी दिलेरी इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज है. मरणोपरान्त भारत का सर्वोच्च सेना पुरस्कार परमवीर चक्र (param vir chakra) प्रदान किया गया था.

बेहद साधारण परिवार में हुआ था जन्म

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धामूपुर गांव में 1जुलाई 1933 में हुआ था. उनकी माता का नाम सकीना बेगम और पिता का नाम मोहम्मद उस्मान था. उनके पिता सिलाई का काम करते थे, लेकिन उनका मन इस काम में नहीं लगता था. उनकी दिलचस्पी लाठी चलाने, कुश्ती लड़ने और गुलेल से निशाना लगाने आदि में थी. सेना में भर्ती होने से पहले वह काम में अपने पिता की मदद किया करते थे.

अब्दुल हमीद(सौजन्य-भारतीय सेना)

20 साल की उम्र में हुए थे सेना में भर्ती
हमीद 20 साल की उम्र में वाराणसी में सेना में आए और निसाराबाद ग्रिनेडियर्स रेजिमेटंल सेंटर(Grenadiers Regimental Center) में प्रशिक्षण के बाद 1955 में हमीद 4 ग्रेनेडियर्स में क्वार्टर मास्टर हवलदार के रूप में तैनात कर दिए गए. 1962 में भारत चीन युद्ध(indo-china war) में उन्होंने थांग ला से 7 माउंटेन ब्रिग्रेड, 4 माउंटेन डिविजन की ओर से भाग लिया. सितंबर आठ, 1965 में जब पाकिस्तान ने भारत में हमल किया तब वे पंजाब के तरनतारन जिले के खेमकरण सेक्टर(khemkaran sector) में तैनात थे. पाकिस्तान सेना ने अमेरिकी पैंटन टैंकों से खेमकरण सेक्टर के असल उत्ताड़ गांव पर हमला किया.

स्थापित की गई है प्रतिमा.

अजेय समझे जाने वाले पैंटन टैंको को किया था तबाह

इस युद्ध में पहले पाकिस्तान का पलड़ा भारी था. उस समय भारतीय सैनिकों के पास न तो टैंक थे और न ही बड़े हथियार उनके पास थ्री-नॉट थ्री और लाईट मशीन गन थी. जबकि पाकिस्तान के पास अमेरिका में निर्मित पैंटन टैंक थे जिसका उसने इस युद्ध में प्रयोग किया था. हमीद को इन टैंको से निपटने का जिम्मा दिया गया था. उन्होंने अपनी'गन माउनटेड जीप'(gun mounted jeep)से पैंटन टैंकों पर सटीक निशाना लगाते हुए एक के बाद एक नष्ट करना शुरू किया और युद्ध का रुख ही पलट दिया. इसी बीच उनकी जीप को एक गोला आकर लगा और वह गंभीर रूप से घायल हो गए. 10 सितंबर 1965 को वह वीरगति को प्राप्त हुए. अब्दुल हमीद की वीरता की इसलिए भी मिसाल दी जाती है, क्योंकि उस वक्त पैंटन टैंकों को अजेय माना जाता था. युद्धक्षेत्र में ही 10 सितंबर, 1965 को शहीद होने से पहले अब्दुल हमीद ने मैदान-ए-जंग में पाक के पैंटन टैंकों की कब्रगाह बना दी थी. 1965 के युद्ध में अब्दुल हमीद द्वारा दिखाई गई असाधारण वीरता के लिए उन्हें मरणोपरान्त भारत का सर्वोच्च सेना पुरस्कार परमवीर चक्र (param vir chakra) प्रदान किया गया था.

गन माउनटेड जीप

अमेरिका को करनी पड़ी थी पैंटन टैंकों के डिजाइन की समीक्षा

इस युद्ध में साधारण गन माउनटेड जीप (gun mounted jeep) के हाथों हुई पैंटन टैंकों की बर्बादी को देखते हुए अमेरिका में पैटन टैंकों के डिजाइन को लेकर पुन: समीक्षा करनी पड़ी थी, लेकिन वो अमरीकी पैंटन टैंकों के सामने केवल साधारण गन माउनटेड जीप (gun mounted jeep) को ही देख कर समीक्षा कर रहे थे, उसको चलाने वाले वीर अब्दुल हमीद के हौसले को नहीं देख पा रहे थे।

अब्दुल हमीद की सैन्य सेवा

अब्दुल हमीद 27 दिसम्बर 1954 को भारतीय सेना के ग्रेनेडियर रेजीमेंट में भर्ती हुए. बाद में उनकी तैनाती रेजीमेंट के 4ग्रेनेडियर बटालियन में हुई. जहां उन्होंने अपने सैन्य सेवा काल तक अपनी सेवाएं दीं. उन्होंने अपनी इस बटालियन के साथ आगरा, अमृतसर, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, नेफा और रामगढ़ में भारतीय सेना को अपनी सेवाएं दीं.

भारत-चीन युद्ध (INDO-CHINA WAR) के दौरान अब्दुल हमीद की बटालियन सातवीं इंफैन्ट्री ब्रिगेड का हिस्सा थी. जिसने ब्रिगेडियर जॉन दलवी के नेतृत्व में नमका-छू के युद्ध में पीपल्स लिबरेशन आर्मी से लोहा लिया. इस युद्ध में सेकेंड लेफ्टिनेंट जी.वी.पी.राव को मरणोपरांत अद्भुत शौर्य और वीरता के प्रदर्शन के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया. अब्दुल हमीद के सम्मान से पहले इस बटालियन को भारत की स्वतंत्रता के पश्चात मिलने यह सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार था. अब्दुल हमीद ने अपने सेवा काल में सैन्य सेवा मेडल, समर सेवा मेडल और रक्षा मेडल से सम्मान प्राप्त किया था.

भारतीय डाक विभाग ने जारी किया था डाक टिकट

28 जनवरी, 2000 को भारतीय डाक विभाग(Indian Postal Department) ने वीरता पुरस्कार विजेताओं के सम्मान में पांच डाक टिकटों के सेट में 3 रुपये का एक डाक टिकट जारी किया. इस डाक टिकट पर रिकॉयलेस राइफल से गोली चलाते हुए जीप पर सवार वीर अब्दुल हमीद की तस्वीर बनी हुई है.

डाक विभाग ने जारी किया था डाक विभाग.

परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद की ही प्रेरणा से आज पूर्वांचल में गाजीपुर जिले से अमूमन हर दूसरे घर से भारतीय सेना में युवक अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इतना ही नहीं, गाजीपुर में हमीद के नाम पर गंगा पर सेतु भी बनाया गया है.

Last Updated : Jul 1, 2021, 2:39 PM IST

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