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स्वावलंबन की मिसाल हैं बाराबंकी की 'पैड वूमेन', इस तरह कर रहीं महिलाओं की मदद

सेनेटरी नैपकिन बनाकर बाराबंकी की 'पैड वूमेन' न केवल स्वावलम्बी और स्वाभिमानी बन रही हैं. बल्कि उन 'खास दिनों' में बरती जाने वाली साफ-सफाई से भी आसपास की महिलाओं को जागरूक कर रही हैं.

pad women of barabanki
स्वावलंबन की मिसाल हैं बाराबंकी की पैड वूमेन.

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Published : Oct 18, 2020, 10:58 AM IST

बाराबंकी: जिले के बंकी ब्लॉक के मंजीठा गांव की रोशनी स्वयं सहायता समूह की महिलाएं सेनेटरी नैपकिन बनाकर न केवल खुद स्वावलंबी और स्वाभिमानी बन रही हैं. बल्कि गांव की महिलाओं को भी सेनेटरी पैड का प्रयोग कर स्वस्थ रहने के लिए जागरूक कर रही हैं. साफ-सफाई को लेकर मासिक धर्म के दौरान जागरूकता की कमी के चलते ग्रामीण महिलाओं के गिरते स्वास्थ्य पर महिला उत्थान के लिए काम कर रही 'जागो री जागो' नामक संस्था ने गौर किया और मंजीठा गांव की रोशनी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सेनेटरी पैड बनाने के लिए प्रेरित किया. ताकि वे स्वावलम्बी होने के साथ-साथ इलाके की महिलाओं को भी स्वच्छता के प्रति जागरुक कर सकें.

स्वच्छता को लेकर महिलाओं को किया जा रहा जागरूक.

संस्था के मुख्य वालंटियर चंद्रप्रकाश ने भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा संचालित कॉमन सर्विस सेंटर से सम्पर्क किया. मैनुअली सेनेटरी नैपकिन बनाने वाली मशीनों की कीमत एक लाख 40 हजार की थीं. लिहाजा सीएससी के माध्यम से चलाई जा रही योजना से उनकी बहू को ये मशीनें महज 30 हजार में मिल गई. इन मशीनों को उनकी बहू ने समूह को गिफ्ट कर दिया. यही नहीं, संस्था ने समूह की महिलाओं को पैड बनाने की ट्रेनिंग भी करवाई.

संस्था से जुड़ी कुछ युवतियां बतौर ट्रेनर सेनेटरी पैड निर्माण के दौरान इन महिलाओं की मदद करती हैं. साथ ही दूसरी महिलाओं को भी इससे जुड़ने के लिए प्रेरित करती हैं. ग्रामीण अंचलों की महिलाओं को जागरूक कर न केवल उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में ऐसे समूहों द्वारा निभाई जा रही भूमिका वाकई काबिले तारीफ है.

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