बलरामपुर:प्रदेश की योगी सरकार लगातार किसानों को हरसंभव लाभ पहुंचाने के लिए तमाम तरह योजनाएं चला रही हैं. किसानों की उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी तय कर दिया गया है. केंद्र सरकार से राज्य स्तर पर इसके लिए विशेष तरह की तैयारी की जाती है.आढ़तियों के हाथ धान न बिके, शायद इसलिए ही सहकारी क्रय केंद्रों पर 15 अक्टूबर से ही खरीद भी शुरू कर दी गई, जिससे अन्नदाता अच्छी कीमत पर सीधे सरकार को धान बेच सकते हैं. लेकिन जिले में सरकार की मंशा पर पानी फिरता नजर आ रहा है.
बनाए गए हैं 29 क्रय केंद्र
जिले में स्थापित किए गए 29 क्रय केंद्रों पर तमाम तरह की समस्याओं के कारण किसान लगातार उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं और अपनी मेहनत से तैयार फसलों को आढ़तियों के हाथों बेचने पर मजबूर हैं, क्योंकि वहां पैसा नगद मिलता है और बिना किसी झंझट से काम हो जाता है.
अभी तक महज 8 फीसदी की खरीद
जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही कहें या केंद्र प्रभारियों की मनमानी अभी तक जिले के क्रय केंद्रों पर 20 दिनों में महज 950 मीट्रिक टन की खरीदा ही हो सकी है, जो 12 हजार एमटी का कुल 8 प्रतिशत होता है. सरकार की इतनी कवायदों के बाद भी अपनी उपज बेचने के लिए किसान रोज मंडी समिति का चक्कर लगा रहे हैं.
ईटीवी भारत की टीम ने जिले भर में स्थापित आधा दर्जन धान क्रय केंद्रों पर जाकर स्थिति को परखने की कोशिश की है, तो कहीं पर कोई किसान नहीं तो कहीं पर महज एक किसान मौजूद मिला.
किसानों के लिए आरक्षित हैं 2 दिन
लघु एवं सीमांत किसानों के लिए सप्ताह में दो दिन मंगलवार व शुक्रवार को आरक्षित किया गया है. इन दिनों में लघु एवं सीमांत किसान आकर अपने धान की तौल करवा सकते हैं. इसके लिए किसी विशेष नियम की आवश्यकता नहीं है.
इतना मिलता है फायदा
केंद्रों पर खरीदे जाने वाले धान को एमएसपी के तहत खरीदा जाता है. नॉर्मल यानी मोटे धान का 1,868 रुपये समर्थन मूल्य तय है. उसमें 20 रुपये प्रति क्विंटल पल्लेदारी के भी जुड़े हुए हैं. धान की तौल कराने के बाद पल्लेदारों को इसका नकद भुगतान करना होता है, जिसके बाद 1,868 प्रति क्विंटल के भाव से किसानों को उनका पैसा उनके खातों में भेज दिया जाता है.
अढ़ातियों से मिलता है कम पैसा
अगर प्राइवेट धान खरीद केंद्रों की बात करें तो यहां पर किसानों को पैसा तो नगद दिया जाता है, लेकिन धान की कीमत लगभग आधी हो जाती है. यहां मोटे धान के 1,000 रुपये से लेकर 1,200 रुपये, जबकि बासमती और काला धान सहित अन्य पतले धान के लिए अधिकतम कीमत 1400-1500 रुपये ही अदा किए जाते हैं. अढ़तियों को धान बेचना किसानों की प्रमुख समस्या है, क्योंकि फसल काटने के बाद अगली फसल की तैयारी के लिए उन्हें तत्काल पैसे की जरूरत होती है.