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आढ़तियों को बेच रहे धान, किसान ऐसे 'बचा रहे जान', जानें हकीकत

यूपी के बलरामपुर जिले में प्रदेश की योगी सरकार किसानों के लिए कई योजनाओं का शुभारंभ किया है, लेकिन जनपद में स्थापित किए गए 29 क्रय केंद्रों पर अधिकारियों की लापरवाही से किसान लगातार उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं और अपनी मेहनत से तैयार फसलों को आढ़तियों के हाथों बेचने को मजबूर हैं.

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Published : Nov 11, 2020, 8:56 PM IST

स्पेशल रिपोर्ट.
स्पेशल रिपोर्ट.

बलरामपुर:प्रदेश की योगी सरकार लगातार किसानों को हरसंभव लाभ पहुंचाने के लिए तमाम तरह योजनाएं चला रही हैं. किसानों की उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी तय कर दिया गया है. केंद्र सरकार से राज्य स्तर पर इसके लिए विशेष तरह की तैयारी की जाती है.आढ़तियों के हाथ धान न बिके, शायद इसलिए ही सहकारी क्रय केंद्रों पर 15 अक्टूबर से ही खरीद भी शुरू कर दी गई, जिससे अन्नदाता अच्छी कीमत पर सीधे सरकार को धान बेच सकते हैं. लेकिन जिले में सरकार की मंशा पर पानी फिरता नजर आ रहा है.

स्पेशल रिपोर्ट.

बनाए गए हैं 29 क्रय केंद्र
जिले में स्थापित किए गए 29 क्रय केंद्रों पर तमाम तरह की समस्याओं के कारण किसान लगातार उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं और अपनी मेहनत से तैयार फसलों को आढ़तियों के हाथों बेचने पर मजबूर हैं, क्योंकि वहां पैसा नगद मिलता है और बिना किसी झंझट से काम हो जाता है.

अभी तक महज 8 फीसदी की खरीद
जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही कहें या केंद्र प्रभारियों की मनमानी अभी तक जिले के क्रय केंद्रों पर 20 दिनों में महज 950 मीट्रिक टन की खरीदा ही हो सकी है, जो 12 हजार एमटी का कुल 8 प्रतिशत होता है. सरकार की इतनी कवायदों के बाद भी अपनी उपज बेचने के लिए किसान रोज मंडी समिति का चक्कर लगा रहे हैं.

ईटीवी भारत की टीम ने जिले भर में स्थापित आधा दर्जन धान क्रय केंद्रों पर जाकर स्थिति को परखने की कोशिश की है, तो कहीं पर कोई किसान नहीं तो कहीं पर महज एक किसान मौजूद मिला.

किसानों के लिए आरक्षित हैं 2 दिन
लघु एवं सीमांत किसानों के लिए सप्ताह में दो दिन मंगलवार व शुक्रवार को आरक्षित किया गया है. इन दिनों में लघु एवं सीमांत किसान आकर अपने धान की तौल करवा सकते हैं. इसके लिए किसी विशेष नियम की आवश्यकता नहीं है.

इतना मिलता है फायदा
केंद्रों पर खरीदे जाने वाले धान को एमएसपी के तहत खरीदा जाता है. नॉर्मल यानी मोटे धान का 1,868 रुपये समर्थन मूल्य तय है. उसमें 20 रुपये प्रति क्विंटल पल्लेदारी के भी जुड़े हुए हैं. धान की तौल कराने के बाद पल्लेदारों को इसका नकद भुगतान करना होता है, जिसके बाद 1,868 प्रति क्विंटल के भाव से किसानों को उनका पैसा उनके खातों में भेज दिया जाता है.

अढ़ातियों से मिलता है कम पैसा
अगर प्राइवेट धान खरीद केंद्रों की बात करें तो यहां पर किसानों को पैसा तो नगद दिया जाता है, लेकिन धान की कीमत लगभग आधी हो जाती है. यहां मोटे धान के 1,000 रुपये से लेकर 1,200 रुपये, जबकि बासमती और काला धान सहित अन्य पतले धान के लिए अधिकतम कीमत 1400-1500 रुपये ही अदा किए जाते हैं. अढ़तियों को धान बेचना किसानों की प्रमुख समस्या है, क्योंकि फसल काटने के बाद अगली फसल की तैयारी के लिए उन्हें तत्काल पैसे की जरूरत होती है.

नहीं मिली सही सूचना
बलरामपुर केंद्र पर ही धान बेचने की जानकारी लेने आए भंवरी निवासी रमेश चंद्र शुक्ला बताते हैं कि मुझे उपज बेचने की कोई जानकारी नहीं है. केंद्र पर तैनात कर्मचारी अब सूची में 300 के बाद नाम लिखाने को कह रहा है, जब कि सरकार ने सप्ताह में 2 दिन बिना सूची के सीधे किसानों की उपज खरीदने का आदेश जारी किया है. केंद्र पर तैनात कर्मचारी किस दिन खुली खरीद होती है. इसकी जानकारी नहीं दे रहे हैं.

जल्दी मिलता है पैसा
तुलसीपुर केंद्र पर धान बेचने आए मदरहवा के किसानों ने अपनी फसल अढ़ातियों के हाथ बेच दी. उन्होंने कहा कि वे नहीं चाहते उनकी आने वाली फसल बेवजह पिछड़े और मौसम की वजह से नुकसान उठाना पड़े.

किसानों का कहना है कि अगर उन्हें सही प्रक्रिया से धान बेचने का मौका मिलेगा तो वे 1000-1200 के हिसाब से भी धान बेच देंगे.

क्या बोले डीएफएमओ ?
जिला खाद्य विपणन अधिकारी नरेंद्र तिवारी ने ईटीवी भारत से फोन पर बताया कि अब तक जिले में 12 हजार मीट्रिक टन लक्ष्य के सापेक्ष तकरीबन 8 फीसद धान की खरीद हुई है, जो कि तकरीबन 960 एमटी होता है.

उन्होंने बताया कि अब तक धान खरीदने के लिए तकरीबन 2,500 किसानों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है, जबकि पिछले साल पूरे सीजन के दौरान तकरीबन 15,000 किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था.

क्या बोले जिलाधिकारी ?
जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने बताया कि हम लघु और सीमांत किसानों को बड़े पैमाने पर फायदा दिलवाना चाहते हैं, जिससे उन्हें फसलों का सही दाम मिल सके. उन्होंने कहा कि अभी फसलों की कटाई ही चल रही है. इस कारण खरीद की रफ्तार थोड़ी धीमी है.

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