बलरामपुर:हाल ही में जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में हुई आतंकी घटना में 21वीं राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों ने अपनी वीरता और साहस का अभूतपूर्व परिचय दिया. इस हमले में आतंकवादियों से लड़ते हुए भारत के पांच जवान शहीद हो गए. मूलत: बुलंदशहर के रहने वाले 21वीं राष्ट्रीय राइफल के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल आशुतोष शर्मा भी इसी आतंकवादी घटना शहीद हो गए थे.
कर्नल आशुतोष शर्मा का बलरामपुर से था गहरा नाता
कर्नल आशुतोष शर्मा का गहरा नाता बलरामपुर जिले से भी था. इनका बचपन यहीं व्यतीत हुआ और बलरामपुर नगर में स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में इन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की थी. दरअसल, कर्नल आशुतोष शर्मा के पिता बलरामपुर जिले में भूमि संरक्षण अधिकारी थे और उस वक्त पूरा परिवार यहीं रहता था.
सरस्वती विद्या मंदिर के प्रबंधक डॉ. दिव्य दर्शन तिवारी ने साझा की यादें
शहीद आशुतोष शर्मा के व्यक्तित्व को याद करते हुए महारानी लाल कुमारी महाविद्यालय में वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष और सरस्वती विद्या मंदिर के प्रबंधक डॉ. दिव्य दर्शन तिवारी ने उनकी तमाम यादें ईटीवी भारत से साझा की. उन्होंने बताया कि कर्नल आशुतोष शर्मा का परिवार हमारे घर से थोड़ी दूर पर ही रहता था. हम सभी लोग सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ाई करते थे. आशुतोष शर्मा मेरे छोटे भाई के सहपाठी थे, जबकि उनकी बड़ी बहन नूतन शर्मा हमारी सहपाठी थीं.
शुरू से ही पढ़ाई-लिखाई में थे अच्छे
डॉ. तिवारी बताते हैं कि शहीद आशुतोष शर्मा पढ़ाई-लिखाई में शुरू से बहुत ही अच्छे थे. उन्हें भारतीय सेना के जरिए अपनी सेवाएं देने की रुचि शुरू से ही थी, जिसको बल भी यहीं से मिला. आशुतोष शर्मा खेलकूद और अन्य गतिविधियों में भी बहुत अच्छे थे. इसलिए हमारे यहां के एनसीसी के अध्यापक ओपी सिंह ने उनकी खूब हौंसला आफजाई की और उन्होंने इस बाबत खूब तैयारी भी करवाई.