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Published : Jul 6, 2020, 12:12 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST

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कोरोना का खौफ: मशहूर लिट्टी-चोखा के जायके से लोग कर रहे 'परहेज'

अनलाॅक में प्रदेश सरकार ने नियमों के साथ होटल, रेस्टोंरेट आदि खाने-पीने की दुकानों को खोलने की छूट दे दी है. वहीं कोरोना वायरस के कारण ज्यादातर लोग बाहर की चीजें खाने से परहेज कर रहे हैं. इस समय बलिया की मशहूर लिट्टी चोखा की दुकानों पर सन्नाटा पसरा है. दुकानदारों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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कोरोना के कारण कम आ रहे दुकान पर ग्राहक.

बलिया: कोरोना वायरस के कारण लोग खाने-पीने की दुकानों पर जाने से परहेज कर रहे हैं. इस कारण मौजूदा समय में पूर्वी यूपी और पश्चिमी बिहार के मशहूर लिट्टी चोखा की दुकानों पर सन्नाटा पसरा हुआ है. बहुत ही कम ग्राहक इन दुकानों पर जा रहे हैं. इस कारण दुकानदारों को परेशानियों का समना करना पड़ रहा है.

देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या में रोजोना बढ़ोतरी हो रही है. वहीं केंद्र और राज्य सरकार ने भी लोगों से अति आवश्यक कार्य के लिए ही अपने घरों से बाहर निकलने की अपील की है. ऐसे में लोग लिट्टी-चोखा का स्वाद चखने से परहेज कर रहे हैं. दुकानदारों का कहना है कि सरकार ने नियमों से साथ दुकान खोलने की अनुमित तो दे दी है, लेकिन कोरोना के डर से बहुत ही कम ग्राहक दुकानों की ओर रुख कर रहे हैं.

अमूमन रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड के बाहर लगने वाली लिट्टी-चोखा की दुकान बलिया जिले में हर छोटी-बड़ी बाजार में ठेले पर लगती है. जिले में बस स्टैंड के बगल में करीब 45 सालों से सुरेश प्रसाद लिट्टी-चोखा की दुकान चलाते हैं और इसी से उनके परिवार का खर्च चलता है. उन्होंने बताया कि दुकान परिवार के 8 सदस्यों का खर्च चलता था, लेकिन कोरोना वायरस के कारण हुए लाॅकडाउन और अब अनलाॅक में ग्राहकों के नहीं आने कारण आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि अब तो 10 सालों की बची पूंजी भी अब खत्म हो गई है. दिन भर में बमुश्किल एक से दो ग्राहक ही आते हैं. उससे दुकान का खर्च भी नहीं निकल पाता है.

फीका हुआ मशहूर लिट्टी चोखा का जायका.

पूर्व पीएम चंद्रशेखर को बहुत पसंद था लिट्टी-चोखा
बलिया पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर की जन्म और कर्म भूमि रही है. राजनीतिक पार्टियों का बलिया पूर्वांचल का केंद्र माना जाता है. यहां के राजनेताओं को बलिया का मशहूर लिट्टी चोखा बहुत पसंद आता है. दुकानदार सुरेश प्रसाद ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के आवास पर लिट्टी-चोखा यहां से ही जाता था. उनके यहां जब नेताओं का जमावड़ा होता था तो हम लोग वहां लिट्टी पहुंचाते थे.

किफायती और सेहतमंद माना जाता है लिट्टी-चोखा
लिट्टी-चोखा दूसरे व्यंजनों की अपेक्षा कम रुपये में मिल जाता है. दुकानदरों के अनुसार 5 रुपये में छोटी और 10 रुपये में बड़ी लिट्टी मिल जाती है. आटे और सत्तू से बनी लिट्टी का कोई साइड इफेक्ट नहीं रहता. बेल्थरा रोड से बलिया आए विशाल तिवारी ने बताया कि कम पैसे में इसके अलावा स्वादिष्ट और फायदेमंद कोई दूसरा व्यंजन नहीं है.

बाढ़ क्षेत्र में अधिक प्रचलित है लिट्टी
बलिया गंगा और घाघरा दो नदियों से घिरा हुआ जिला है. यहां हर साल आने वाले बाढ़ के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बाढ़ के नुकसान से बचने के लिए जिले के किसान एक ही फसल की पैदावार करते हैं. खेत पर काम करने वाले मजदूर और किसान लिट्टी ही खाते हैं. बाढ़ क्षेत्र में रहने वाले किसान विनोद सिंह ने बताया कि गर्मी के दिनों में किसान खेत में यही खाते हैं. उन्होंने बताया कि किसान काम करते समय खेत में लकड़ी आदि से लिट्टी बनाकर नमक और मिर्ची के साथ खाते हैं.

नहीं है कोई साइड इफेक्ट
आटा और चने के सत्तू से बने लिट्टी का कोई साइड इफेक्ट नहीं है और यह सेहतमंद भी होता है. आटे से लोगों को प्रोटीन मिलता है. वहीं चने के सत्तू में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट पर्याप्त मात्रा में होता है, जो गर्मी के दिनों में पेट के लिए लाभकारी है माना जाता है.

Last Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST

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