बहराइच: सशस्त्र सीमा बल का 57वां स्थापना दिवस रविवार को मनाया गया. इस मौके पर 42वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल के बटालियन मुख्यालय पर विभिन्न खेलों का आयोजन किया गया. इस दौरान 42वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल के कार्यवाहक कमांडेंट प्रवीण कुमार ने कहा कि, सेवा सुरक्षा और बन्धुत्व हमारा ध्येय है.
सशस्त्र सीमा बल के 57वें स्थापना दिवस के मौके पर 42वीं वाहिनी के कार्यवाहक कमांडेंट ने जवानों को बल की क्षमता तथा कार्यकुशलता के बारे में अवगत कराया. साथ ही सशस्त्र सीमा बल के गौरवपूर्ण और स्वर्णीम सफर के बारे में बताया. 42वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल के कार्यवाहक कमांडेंट प्रवीण कुमार ने बताया कि बल की स्थापना 1963 में की गयी थी. जिसका लक्ष्य सरहदी आबादी का भरोसा जीतकर, उनमें राष्ट्रीय स्वाभिमान जगाकर राष्ट्र की मुख्य धारा में शामिल करना था. वर्ष 2001 के बाद सशसत्र सीमा बल ने एक नए दौर में प्रवेश किया और सीमा रक्षक के रूप एसएसबी रूप में भूमिका बढ़ गई.
कई चुनौतियों का कुशलता से सामना करती है एसएसबी
SSB की कार्यकुशलता का सम्मान करते हुए 2004 में बल को प्रेसिडेंट कलर्स से नवाजा गया. आज एसएसबी भारत-नेपाल और भारत-भूटान की खुली, संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण सीमाओं की दिन रात हिफाजत करने के साथ उग्रवाद विरोधी अभियान, आपदा-राहत, वन्य-जीव और मानव तस्करी को रोकने में अपना अमूल्य योगदान रही है. इन मुश्किल कार्यों को अंजाम देने में एसएसबी ने लगातार अपनी क्षमताओं में विस्तार किया. 1,751 किलोमीटर लम्बी भारत-नेपाल तथा 699 किलोमीटर लम्बी भारत-भूटान की खुली सीमाओं की पैनी निगरानी रखना, पड़ोसी राष्ट्र के साथ मित्रतापूर्ण सम्बन्ध बनायें रखने, राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को रोकने के साथ मानव तस्करी के विरुद्ध मुहीम लगातार जारी है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, सशस्त्र सीमा बल एक बहु आयामी फोर्स है. सशस्त्र सीमा बल पांच दशकों से भी अधिक समय से सेवा, सुरक्षा और बन्धुत्व के आदर्श को जीने और उसको जीवन्त बनाने के लिए काम कर रहा है.