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बागपत की शूटर दादी की तमन्ना, अगले जनम भी मोहे शूटर ही कीजो

कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों. इस कहावत को चरितार्थ करने वाली बागपत की शूटर दादी प्रकाशी तोमर का जज्बा और हौसला कुछ ऐसा ही है. 60 की उम्र में निशानबाजी में दर्जनों पदक नाम कर चुकीं प्रकाशी तोमर अब 80 साल से ज्यादा की हो चुकी हैं, लेकिन हौसला और जज्बा अब बरकरार है.

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Published : Apr 6, 2023, 2:31 PM IST

बागपत की शूटर दादी की तमन्ना, अगले जनम भी मोहे शूटर ही कीजो.

बागपत : बागपत की शूटर दादी का दिल अभी निशानेबाजी से भरा नहीं है. शूटर दादी की इच्छा है कि अगले जन्म में भी वो निशानेबाज ही बनें. दरअसल दुनिया की सबसे उम्रदराज महिला निशानेबाज़ों में शुमार बागपत के जोहड़ी गांव की प्रकाशी तोमर जिनको शूटर दादी के नाम से ज्यादा जाना जाता है. उन शूटर दादी का मन अभी निशानेबाजी से भरा नहीं है. शूटर दादी की इच्छा है कि अगले जन्म में भी वे निशानेबाज ही बनें.


शूटर दादी प्रकाशी तोमर का कहना है कि अगले जन्म में वे और अधिक मेहनत करेंगी और बेटियों को खेलों की तरफ आने के लिए प्रेरित भी करेंगी. आपको बता दें कि वयोवृद्ध प्रकाशी तोमर और उनकी जेठानी स्वर्गीय चंद्रो तोमर के जीवन पर सांड की आंख नाम की फ़िल्म भी बन चुकी है. जिसमें बॉलीवुड अभिनेत्रियों तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर ने दादियों के किरदार निभाए थे. यह फिल्म खासतौर पर युवा लड़कियों ने खूब पसंद की थी. लोगों ने दादी के किरदार को काफी सराहा था.

60 साल की उम्र में निशानेबाज़ी सीख कर दर्जनों पदक जीत कर मिसाल बनने वाली प्रकाशी तोमर की उम्र भले ही अब 80 से ज्यादा हो चुकी है, लेकिन लक्ष्य भेदने का हौसला अब भी बरकरार है. दादी अगले जन्म के लिए भी अपना लक्ष्य तय कर चुकी हैं उन्हें अगले जन्म में भी निशानेबाज ही बनना है. उनके इस जज्बे को लोग काफी तरजीह दे रहे हैं और उनकी प्रशंसा कर रहे हैं.

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