आजमगढ़: जनपद के निजामाबाद की ब्लैक पॉटरी वैसे तो पूरे देश में प्रसिद्ध है. यहां ब्लैक पॉटरी से बनने वाले सजावटी सामान और रोजमर्रा की वस्तुएं भले ही विदेशों में लोगों के डायनिंग हाल की शोभा बढ़ा रहे हैं, लेकिन फर्श से अर्श तक पहुंचने वाले इस परंपरागत उद्योग को आज तक एक अदद बाजार उपलब्ध नहीं हो सका है. विगत 5 वर्षों से यहां पर बनने वाली लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां कोलकाता की फिनिशिंग के आगे दम तोड़ती नजर आ रही हैं.
10 गांव के 1500 कारीगर देते हैं मिट्टी को आकार
जिले के ऐतिहासिक कस्बा निजामाबाद में मुगलकाल से ही काली मिट्टी के बर्तन और मूर्तियां बनाने में पूरा गांव लगा रहता है. इस कला में लगे लगभग 10 गांव के 1500 कारीगर अपनी कला से मिट्टी को आकार देकर विश्व में जिले की पहचान बनाए हैं. उद्योग को बढ़ावा देने के लिए इसे सरकार द्वारा पहले जीआइ सूचकांक मिला. इसके बाद 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट' योजना के अंतर्गत चयनित निजामाबाद की ब्लैक पॉटरी कारोबार ने रफ्तार पकड़ी. केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा हस्तशिल्पियों को पुरस्कृत किए जाने के साथ अब ऋण की भी योजना प्रभावी हो गई है. इसके बाद तो कारीगर अपने हुनर से विश्व में ब्लैक पाटरी का परचम लहरा रहे हैं. अकेले मोहल्ला हुसैनाबाद के लगभग दो दर्जन उद्यमी राज्य पुरस्कार, स्टेट अवार्ड और राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं. इतनी उपलब्धियों के बाद भी इस कला के लिए सही संसाधन उपलब्ध नहीं हो पा रहा हैं.