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आजमगढ़: निराश्रित गायों का मसीहा बना यह शख्स

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के रहने वाले भीम सिंह ने गायों को संरक्षित करने का बीड़ा उठाया है. दूध न देने वाली जिन गायों को लोग अपने घरों से बाहर भगा देते हैं, ऐसी गायों को वह अपने घर लाकर भूसा और चारा खिला रहे हैं. गांव वाले भी इसमें उनका सहयोग दे रहे हैं.

भीम सिंह ने गायों को संरक्षित करने का बीड़ा उठाया है.
भीम सिंह ने गायों को संरक्षित करने का बीड़ा उठाया है.

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Published : Jul 14, 2020, 2:16 PM IST

Updated : Jul 14, 2020, 9:44 PM IST

आजमगढ़: जनपद के उकरौड़ा के मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले भीम सिंह अपने क्षेत्र की निराश्रित गायों और जानवरों के लिए मसीहा बने हुए हैं. दूध न देने वाली जिन गायों को लोग अपने घरों से बाहर भगा देते हैं, ऐसी गायों को वह अपने घर लाकर उनको भूसा और चारा खिला रहे हैं, ताकि इन गायों की रक्षा हो सके. गांव वाले भी इसमें भीम सिंह का सहयोग दे रहे हैं.

भीम सिंह ने गायों को संरक्षित करने का बीड़ा उठाया है.

गांव वालों के सहयोग से उठाया यह बीड़ा

गांव के पास एक छोटी सी दुकान चलाने वाले भीम सिंह के मन में इन गायों को संरक्षित करने का विचार उस समय आया, जब उन्होंने देखा कि गांव के लोग दूध न देने वाली गायों को खुले में छोड़ देते थे और इन्हें मारते भी थे. जिसके बाद भीम सिंह ने नवंबर 2019 से इन गायों को सुरक्षित करने का बीड़ा उठाया. हालांकि भीम सिंह के लिए यह राह आसान नहीं थी, लेकिन उनके इस कार्य से प्रसन्न होकर गांव के लोगों ने भी उनका सहयोग करना शुरू किया. गांव वालों के सहयोग से भीम सिंह ने लगभग 12 से अधिक गाय अपने घर के बाहर बांधी हुई हैं और इन गायों के चारे-पानी की व्यवस्था भी वह स्वयं ही करते हैं.

गौ सेवा का प्रयास लगातार जारी

भीम सिंह का कहना है कि इस काम के पीछे उनका मुख्य मकसद गायों की रक्षा करना, साथ ही हिंदू धर्म में जिस तरह से दया धर्म की बात की जाती है उसी का पालन करना है, ताकि इन गायों को दर-दर न भटकना पड़े. उन्होंने बताया कि कोरोना के इस दौर में लोगों का सहयोग जरूर कम हुआ है, लेकिन गौ सेवा का यह प्रयास लगातार जारी है. भीम सिंह ने जनपद के लोगों को नसीहत देते हुए कहा कि लोग अपनी गायों को खुले में न छोड़ें और न ही उन्हें लाठी-डंडों से पीटें.

जिला प्रशासन की सहायता ऊंट के मुंह में जीरा के बराबर

भीम सिंह की सराहनीय पहल की जानकारी जब जिला प्रशासन को हुई, तो जिला प्रशासन इन्हें 900 रुपये प्रति महीने इन गायों को संरक्षण के लिए देने लगा. भीम सिंह का कहना है कि महीने में इन गायों के लिए 16 क्विंटल भूसा लगता है और 800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भूसा मिलता है. ऐसे में जिला प्रशासन से जो 900 रुपये मिलते हैं, वह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहे हैं.

Last Updated : Jul 14, 2020, 9:44 PM IST

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