महंत राजू दास को रास नहीं आया राहुल गांधी का बहन प्रियंका के लिए प्यार अयोध्या: कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा ने मंगलवार को गाजियाबाद के लोनी इलाके से यूपी में प्रवेश किया है. इस यात्रा में मंच पर राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी से हुई प्यारी भरी मुलाकात चर्चा का विषय बन गई है. राहुल गांधी का प्रियंका गांधी से प्यार भरे अंदाज में मिलना संतों को रास नहीं आया. संतों ने उनकी इस मुलाकात को सनातन संस्कृति के खिलाफ बताया है.
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी काफी अलग अंदाज में नजर आ रहे हैं. गाजियाबाद में मंच पर राहुल गांधी प्रियंका गांधी से गले मिले और उन्होंन अपनी बहन का माथा चूमकर प्यार (Rahul Gandhi meet Priyanka Gandhi) जताया. इससे पहले वे दिल्ली में अपनी मां सोनिया गांधी पर भी स्टेज पर प्यार लुटाते नजर आए थे. वहीं, अयोध्या के प्रसिद्ध सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी महंत राजू दास को राहुल गांधी का इस तरह से प्रियंका गांधी वाड्रा से मिलना पसंद (Ayodhya Saints furious over Rahul meet Priyanka) नहीं आया. उन्होंने भरे मंच पर अपनी बहन को प्यार से गले लगाकर उनके माथे को चूमना सनातन संस्कृति के खिलाफ बताया है.
महंत राजू दास ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि राहुल गांधी सिर्फ सनातन धर्म में दिखावे की आस्था रखते हैं. अगर राहुल गांधी को सनातन में विश्वास और श्रद्धा होती तो वह मंच पर ऐसी हरकत नहीं करते. इसके साथ ही महंत राजू दास ने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी किस भारत को जोड़ने के लिए निकले हैं. क्या इससे पहले जब उनके पिताजी, दादा-दादी देश के प्रधानमंत्री थे तब भारत जुड़ा हुआ नहीं था. (Rahul Gandhi hugs Priyanka on stage)
दक्षिण भारत से कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा (Congress Bharat Jodo Yatra) मंगलवार को उत्तर प्रदेश में दाखिल हुई. इस अयोध्या में राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने राहुल गांधी को बधाई दी. जिसको लेकर हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी महंत राजू दास ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि जो संत आज राहुल गांधी को इस यात्रा के लिए बधाई दे रहे हैं. वह शायद भूल गए है कि इन्हीं कांग्रेसियों ने भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया था. इतना ही नहीं कांग्रेसियों ने रामसेतु पर भी सवाल खड़े किए थे और भगवान राम को भी काल्पनिक बताया था. उसके बाद कोर्ट में मुकदमा भी लड़ा था. आज ऐसे अधर्मियों को जो संत बधाई दे रहे हैं, वह निजी लाभ के लिए ऐसा कर रहे हैं. वह शायद कांग्रेस का पुराना इतिहास भुलाना चाहते हैं.
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