अलीगढ़: कर्नाटक में टीपू सुल्तान को बोर्ड की पाठ्यपुस्तक से हटाए जाने को लेकर इतिहासकार इरफान हबीब ने कहा है कि टीपू सुल्तान को किताब से हटा सकते हैं, लेकिन इतिहास नहीं बदल सकते. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा ने टीपू सुल्तान को बोर्ड के सिलेबस से हटाने की अर्जी का समर्थन किया है.
इतिहासकार इरफान हबीब ने टीपू सुल्तान पर दिया बयान. भाजपा और संघ परिवार टीपू सुल्तान को स्वतंत्रता सेनानी नहीं मानता है. वहीं कांग्रेस और जेडीएस की राय टीपू सुल्तान के बारे में भाजपा से अलग है. 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने टीपू सुल्तान की जयंती मनाने की शुरुआत की थी. इसके बाद हर साल नवंबर में टीपू सुल्तान को लेकर राजनीति शुरू हो जाती है.
टीपू सुल्तान ने अंग्रेजी साम्राज्य के खिलाफ किया संघर्ष
इतिहासकार इरफान हबीब ने बताया कि जनसंघ और भाजपा टीपू सुल्तान की इज्जत नहीं करते हैं. यह उनका कम्युनल नजरिया है. उन्होंने कहा कि जितने भी इतिहासकार हिंदुस्तान में रहे हैं. उन्होंने टीपू सुल्तान को अंग्रेजों का विरोधी बताया है और अंग्रेजो के खिलाफ लड़ते हुए टीपू मारे गये. इरफान हबीब ने सवाल उठाया कि ऐसा कौन राजा-महाराजा रहा है. जो अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध लड़ता हुआ मारा गया. उन्होंने कहा कि टीपू सुल्तान की हमेशा इज्जत रहेगी. उन्होंने अंग्रेजी साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष किया था. इरफान हबीब ने बताया कि टीपू सुल्तान के शासन में बड़े ओहदों पर हिंदू भी रहे हैं.
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टीपू सुल्तान को हिंदू मुस्लिम के आईने से देखना गलत है. इतिहास को बदल नहीं सकते हैं. टीपू सुल्तान बहादुरी से अंग्रेजों के खिलाफ लड़ता हुआ मारा गया. ये सच्चाई है. इतिहास को बदला नहीं जा सकता. जो वाक्या हो गया वह हो गया. टीपू सुल्तान की सेना में हिंदू और मुस्लिम दोनों सिपाही थे और अंग्रेजों के साथ लड़ता हुआ टीपू मारा गया. किसी को भी किताब से हटा सकते हैं, लेकिन इतिहास से नहीं हटा सकते. गलत कहानी लोगों को बता सकते हो, लेकिन उससे इतिहास नहीं बदल सकता.
-इरफान हबीब, इतिहासकार