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नीरी की एनओसी से जगी रबर डैम की आस, जानें निर्माण की तकनी​क और बजट

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Published : May 31, 2022, 6:39 PM IST

Updated : Jun 1, 2022, 7:52 AM IST

आगरा में यमुना पर 340 मीटर लंबे रबर डैम बनने का रास्ता साफ हो गया. यह डैम 350 करोड़ रुपये के बजट में बनकर तैयार होगा. इस रबर डैम का निर्माण साउथ कोरिया की तकनीक और वहां की विशेष रबर से किया जाएगा. ईटीवी भारत की स्पेशल स्टोरी में आप रबर डैम की खासियत, तकनी​क और जनता की सुविधा जानेंगे.

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रबर डैम

आगराः जिले की जनता 34 साल से यमुना पर बैराज का सपना देख रही थी. दो बार बैराज शिलान्यास भी हुआ. लेकिन बैराज नहीं बन सका. अब ताजमहल से 1.5 किलोमीटर दूर डाउन स्ट्रीम में यमुना पर 340 मीटर लंबे रबर डैम बनने का रास्ता साफ हो गया. यह डैम 350 करोड़ रुपये के बजट में बनकर तैयार होगा. चार विभाग की एनओसी मिलने के बाद सीएम योगी ने रबर डैम के लिए बजट में 20 करोड़ रुपये दिए हैं. इस रबर डैम का निर्माण साउथ कोरिया की तकनीक और वहां की विशेष रबर से किया जाएगा.

रबर डैम निर्माण के बार में जानकारी देते हुए सहायक अभियंता विशाल सिंह

बता दें कि, आगरा में दम तोड़ती यमुना और गिरते भूजल स्तर को लेकर बैराज निर्माण की मांग उठी. सन 1986-87 में पहली बार तत्कालीन सीएम नारायण दत्त तिवारी ने गांव मनोहरपुर में आगरा बैराज का शिलान्यास किया था. उस समय इसकी लागत डेढ़ करोड़ रुपये थी. फिर 1993 में तत्कालीन राज्यपाल रमेश भंडारी ने मनोहरपुर में ही आगरा बैराज निर्माण के नाम का नारियल फोड़ा और शिलान्यास किया था. खैर, 34 साल बीत गए, लेकिन आगरा बैराज नहीं बना. जबकि इस बीच कई मुख्यमंत्री बदल गए.

2017 में सीएम योगी ने किया था शिलान्यास

ताजमहल के पास डाउन स्ट्रीम में स्थित नगला पेमा में रबर डैम की योजना सबसे पहले 2016 में अस्तित्व में आई थी. सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने 350 करोड़ रुपये की लागत से रबर डैम का प्रस्ताव तैयार किया था. इसके बाद ही अक्टूबर, 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रबर डैम का शिलान्यास किया था. लेकिन 5 साल में एनओसी नहीं मिलने से रबर डैम का निर्माण कार्य अटक गया. अब एनओसी मिली तो रबर डैम का काम मानसून के बाद शुरू होने की उम्मीद है.

साउथ कोरिया की तकनीक और रबर से बनेगा डैम

सिंचाई विभाग के ताज बैराज निर्माण खंड के सहायक अभियंता विशाल सिंह ने बताया कि रबर डैम निर्माण की दुनियां में साउथ कोरिया, ऑस्ट्रिया और जापान की तकनीक हैं. जो तकनीक भारत के हिसाब से सही रहेगी. वह तकनीक रबर डैम निर्माण में उपयोग की जाएगी. साउथ कोरिया की विशेष रबर और तकनीक से आगरा में डैम का उपयोग कराया जाएगा. रबर डैम का बेस कंक्रीट का होगा. लेकिन स्टील के गेट की जगह रबर बैलून होंगे. रबर बैलून के अंदर हवा होगी. यही पानी रोकने और गेट का कार्य करेंगे. यह बैलून विशेष रबर एथेलिन प्रोपाइलिन डाइन मोनोमर से बनते हैं, जो बुलेट प्रूफ हैं. 340 मीटर के रबर डैम में 55-55 मीटर के पांच बैलनू गेट होंगे. जिनके ऊपर से पानी गुजरेगा. यह बैलून छोटे और बड़े भी किए जा सकते हैं. इसके साथ ही इस रबर डैम में 22.5 मीटर के दो नेवीगेशन गेट होंगे. जिनसे 14 मीटर चौड़ाई के पानी के जहाज निकल सकेंगे. जलमार्ग को ध्यान में रखकर इसका निर्माण किया जा रहा है.

यमुना का जलस्तर रहेगा 148 मीटर

सहायक अभियंता विशाल सिंह ने बताया कि रबर डैम के बाद यमुना का जलस्तर 148 मीटर रहेगा, जो रिड्यूस लेबल है. रबर डैम से पहले की तरह ही यमुना ताजमहल से सटकर कलकल करेगी. ताजमहल के पास ही 3.50 लाख क्यूसेक पानी रुकेगा. इस जलस्तर से ही भूगर्भ जलस्तर बढ़ेगा.

350 करोड़ रुपए की लागत, बजट में 20 करोड़ की घोषणा

बता दें कि, जब सिंचाई विभाग ने सन 2017 में रबर डैम निर्माण योजना की लागत 350 करोड़ रुपये रखी थी. वैसे देखा जाए तो पांच साल में कार्यों की दर में बदलाव होने से प्रोजेक्ट की लागत बढ़ेगी. इसलिए संशोधित लागत का बजट भी तैयार किया जाएगा. लेकिन सीएम योगी ने रबर डैम के लिए 20 करोड़ रुपये के बजट की घोषणा की है. जिसमें से दस करोड़ रुपये में भूमि अधिग्रहण और दस करोड़ रुपये में निर्माण और अन्य कार्य निर्धारित किए गए हैं.

मानसून के बाद शुरू हो सकेगा निर्माण

नीरी ने यमुना नदी पर बनने वाले रबर डैम के निर्माण की समय सीमा भी तय की है. नीरी ने रबर डैम निर्माण नॉन मानसून सीजन में करने की बात कही है. रबर डैम निर्माण में यमुना रिवर बैड खोदाई, प्लेटफार्म निर्माण, मशीनरी इस्तेमाल में धूल नहीं उड़नी चाहिए. यमुना किनारा रोड पर ट्रक व भारी वाहनों की आवाजाही रोकी जाए. इसके साथ ही रबर डैम निर्माण में जेनरेटर सेट के इस्तेमाल पर नीरी और टीटीजेड ने रोक लगाई है.

मिली इन विभाग की एनओसी

ताज के पास रबर डैम बनाने की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग के ताज बैराज खंड की है. रबर डैम निमार्ण के लिए केंद्रीय जल आयोग, अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), नेशनल एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) ने एनओसी दे दी है. वहीं, अभी ताज ट्रिपेजियम जोन (टीटीजेड) की एनओसी नहीं मिली है. पहले ही एएसआई, केंद्रीय जल आयोग और अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण ने रबर डैम बनाने की एनओसी दे दी थी. नीरी ने एनवायरमेंट क्लीयरेंस कंप्लायंस रिव्यू कमेटी गठित कराई है. जिसके तहत रबर डैम बनाने में 10 से 20 तक प्रदूषण तय किया है.

बढ़ेगा भूगर्भ जलस्तर

जिले में यमुना और नहरें सूखी पड़ी हैं. इसकी वजह से शहर और ग्रामीण क्षेत्र में तेजी से भूगर्भ जलस्तर गिरा है. जिले के 15 ब्लॉक में से 12 ब्लॉक डार्क और शहर भी डार्क जोन घोषित है. बारिश का हर साल करोड़ों लीटर पानी यमुना में बह जाता है. जब रबर डैम बन जाएगा तो यमुना में पानी का स्तर बढ़ेगा. जिससे भूगर्भ जलस्तर बढ़ेगा. जब यमुना लबालब होगी तो ताजमहल को मजबूती मिलेगी. ताजमहल के पीछे का नजर बेहतरीन पहले जैसे ही होगा.

स्वदेशी तकनीक से रबर डैम का निर्माण

रबर डैम की तकनीक चीन और साउथ कोरिया में वर्षों से उपयोग की जा रही है. भारत में हैदराबाद, लखनऊ सहित कई स्थानों पर रबर डैम बनाए गए हैं. देश में इस तकनीक का उपयोग सबसे पहले आंध्रप्रदेश में सन 2006 में किया गया था. तब रबर डैम निर्माण में ऑस्ट्रिया के तकनीकी विशेषज्ञों की मदद ली गई थी. अब देश में स्वेदशी तकनीक से भी काम हो रहा है.

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Last Updated : Jun 1, 2022, 7:52 AM IST

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