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लखनऊ विश्वविद्यालय के विद्यार्थी को मिला 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड' अवॉर्ड

लखनऊ विश्वविद्यालय के विद्यार्थी दिव्यांश का नाम पैराग्लाइडिंग के दौरान सिंगिंग करने पर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है.

"इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड" अवॉर्ड
"इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड" अवॉर्ड

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Published : May 1, 2022, 8:00 PM IST

लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय से एमबीए कर रहे दिव्यांश ने इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है. लखनऊ विश्वविद्यालय 101 साल होने को है. आज तक किसी स्टूडेंट को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड नहीं मिला है. दिव्यांश को यह अवार्ड पैराग्लाइडिंग के दौरान सिंगिंग करने पर मिला है. सोचिए कितना मुश्किल है साढ़े आठ हजार फीट की ऊंचाई पर जाकर हवा में गिटार बजाकर गाना गाना.

दिव्यांश का कहना है कि वह अपनी जिंदगी में वो सभी काम करना चाहते हैं जिससे उन्हें डर लगता है. दिव्यांश बताते हैं कि वह बहुत जल्दी किसी से घुल मिल नहीं पाते. यही वजह है कि उनका फ्रेंड सर्किल भी लिमिटेड है. हां, कुछ अलग करने की चाह हमेशा रहती है. उन्होंने बताया कि साढ़े आठ हजार फीट की ऊंचाई पर जाकर गिटार बजाकर सिंगिंग करना बहुत ही चैलेंजिंग था. हालांकि उन्होंने इस चैलेंज को स्वीकार किया और ऑल इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया.

"इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड" अवॉर्ड

उन्होंने आगे बताया कि इतनी ऊंचाई पर जाकर गिटार बजाना संभव नहीं था पर उनके लिए असंभव भी नहीं था. कहा, 'जब मैं पैराग्लाइडिंग करा रहे गाइडर से बातचीत की तो कुछ ने तो सीधे मना कर दिया था. वहीं, एक गाइडर ने मुझसे कहा कि तुम यहां घूमने-फिरने आए हो, पैराग्लाइडिंग करो और हवा का रुख जैसा होगा, उस हिसाब से हम तुम्हारा सपना भी पूरा कर आएंगे. ऊंचाई पर हवा का रुख सही रहेगा उस समय मैं तुम्हारी रिकॉर्डिंग कर दूंगा और तुम गिटार बजाकर सिंगिंग कर लेना. अगर एक मिनट का समय मिला तो ठीक और नहीं मिला तो कोई बात नहीं'.

उन्होंने बताया, 'मैंने उसकी इस बात पर हां बोल दिया और एक बार गाइडर को जरूर बोला कि भाई देख लेना मैं यह करना चाहता हूं. अगर हो सके तो प्लीज मुझे सपोर्ट करना. जब हम साढे़ 8 हजार फिट की ऊंचाई पर गए. एक मिनट के लिए हवा स्थिर रही, उसी समय एक मिनट के लिए सिक्योरिटी हैंड को छोड़ा जा सकता था. उसी एक मिनट में गाइड ने मेरा वीडियो बनाया और मैंने एक मिनट के लिए अपना हाथ सिक्योरिटी हैंड से छुड़ाकर गिटार बजाया'.

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दिव्यांश ने बताया, 'ऊंचाई से जैसे ही हम नीचे पहुंचे मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैंने यह कर दिखाया है. मैंने तुरंत गाइडर का शुक्रिया किया और उसे गले लगा लिया. अगर वह साथ न देता तो आज मेरा नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नहीं होता. इसलिए मैं इसका क्रेडिट उसी भाई को देना चाहूंगा'. दिव्यांश ने बताया कि इस हफ्ते में उनका अवार्ड घर पर डिलीवर हो जाएगा.

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