लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों में डीजल चोरी की फाइल को सात माह तक दबाए रखना रोडवेज के एक अफसर को महंगा पड़ गया. मामला कैसरबाग डिपो से जुड़ा है. लखनऊ परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक पल्लव कुमार बोस की जांच रिपोर्ट के बाद शुक्रवार को सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक (एआरएम) गौरव वर्मा को परिवहन निगम के एमडी धीरज साहू ने सस्पेंड कर दिया.
परिवहन निगम के मुख्य प्रधान प्रबंधक (संचालन) से संबंद्ध
निलंबन के दौरान एआरएम गौरव वर्मा के वेतन और भत्ते में नियमानुसार कटौती की जाएगी और बाकी भुगतान तभी किया जाएगा जब एआरएम ये प्रमाण प्रस्तुत करेंगे कि वे किसी गलत कार्य में संलिप्त नहीं थे. इस पूरे मामले की जांच प्रधान प्रबंधक (प्राविधिक) ए रहमान को सौंपी गई है. निलबंन अवधि के दौरान एआरएम गौरव वर्मा सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक परिवहन निगम मुख्यालय के मुख्य प्रधान प्रबंधक (संचालन) पीआर बेलवारियार से संबंद्ध रहेंगे.
क्या था पूरा मामला
बीते साल नवंबर और दिसंबर में नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ प्रदर्शनकारियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए पुलिस विभाग ने यूपीएसआरटीसी से किराए पर बसें ली थीं. इन बसों के डीजल का खर्च निगम को देना था. जांच के दौरान पता चला कि बिना बस चले ही सैकड़ों लीटर डीजल खर्च दिखाया गया है, इसकी फाइल बीते सात माह से एआरएम गौरव वर्मा दबाए हुए थे. इसी मामले में उनके खिलाफ कार्रवाई हुई है.
एआरएम गौरव वर्मा पर ये हैं आरोप
- बसों के डीजल खर्च की समीक्षा न करना
- वीटीएस से छेड़छाड़ पर एक्शन न लेना
- उच्चाधिकारियों के आदेशों को नकारना
- दोषी कर्मियों से डीजल चोरी की रिकवरी नहीं करना