वाराणसी:धर्म और आध्यात्म की नगरी काशी में गंगा सप्तमी के दिन सूर्योदय के साथ ही दशाश्वमेध घाट पर अलग नजारा देखने को मिला. यहां गंगा सप्तमी के मौके पर विधिवत मां गंगा की पूजना-अर्चना कर उनका भव्य अभिषेक किया गया. इस दौरान बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य लोग मौजूद रहे.
वाराणसी: गंगा सप्तमी के दिन दशाश्वमेध घाट पर दिखा अलग नजारा
काशी नगरी के दशाश्वमेध घाट पर गंगा सप्तमी के दिन सूर्योदय के साथ ही मां गंगा की विधिवत पूजा-अर्चना की गई. इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने मां गंगा का अभिषेक करते हुए उन्हें चुनरी चढ़ाई.
जानिए क्यों मनाई जाती है 'गंगा सप्तमी'-
- बैशाख शुल्क सप्तमी के दिन भगवान ब्रह्मा के कमंडल से हुई थी मां गंगा की उत्पत्ति.
- इसी दिन भगीरथ के तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा भगवान शिव की जटाओं में समाई थीं.
- तभी से मनाया जा रहा है गंगा सप्तमी की पर्व.
- गंगा सप्तमी के दिन गंगा पूजन और स्नान से प्राप्त होती है रिद्धि-सिद्धि.
- सभी पापों का होता है नाश.
- दशाश्वमेध घाट पर सर्वोदय सेवा समिति की तरफ से मां गंगा सप्तमी के लिए किया गया भव्य आयोजन.
- आयोजन में बड़ी संख्या में पद्मश्री समेत कई अन्य गणमान्य जन हुए शामिल.
- मां गंगा की विधिवत की गई पूजा-अर्चना.
- 21 ब्राह्मणों की मौजूदगी में मां गंगा को चढ़ाई गई चुनरी.
''आज ही के दिन मां गंगा ब्रह्मा कमंडल से निकल के देव द्रव्य के रूप में धरती पर अवतरित हुई थी. उनके तीव्र वेग को रोकने के लिए भगवान शंकर ने उन्हें अपनी जटाओं में स्थान दिया था. इसके बाद मां गंगा ने धरती पर आकर भागीरथ के पितरों को मुक्ति दिलाते हुए उनकी मनोकामना को पूर्ण किया था. जिसकी वजह से आज के इस विशेष दिन को गंगा अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है. काशी में इस दिन भव्य आयोजन कर मां गंगा की पूजा-अर्चना की जाती है.''
पंडित श्रीकांत मिश्र, अर्चक, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर