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जानिए, महिला सुरक्षा को लेकर चुनावी वादों पर क्या सोचती हैं महिलाएं ?

हर बार के चुनाव में महिलाओं की सुरक्षा प्रमुख मुद्दा रहता है. महिलाओं का कहना है सुरक्षा बढ़ी है, लेकिन इसे और बेहतर करने की जरूरत है. सुरक्षा के इंतजाम तो हुए हैं, लेकिन लोगों की मानसिक स्थिति में बदलाव की जरूरत है. अब भी शोहदों की आदत नहीं सुधरी है. वह फब्तियां कसने से बाज नहीं आते.

महिलाओं की सुरक्षा.

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Published : Apr 24, 2019, 1:18 PM IST

बाराबंकी: महिलाओं को लेकर हो रहे अपराध में बाराबंकी जिले में काफी हद तक कमी तो आई है, लेकिन अभी भी इसमें बेहतर काम करने की जरूरत है. सुरक्षा के नजरिए से सरकार ने बेहतर उपाय किए हैं, लेकिन अभी और करने की आवश्यकता है.

चुनाव में महिलाओं की सुरक्षा रहता है प्रमुख मुद्दा.

मॉर्निंग वॉक पर निकली सरिता वर्मा जी का मानना है कि महिलाओं को सुरक्षा देने के उपाय काफी हद तक अच्छे हुए हैं, लेकिन अभी और बहुत कुछ करने की आवश्यकता है. फिलहाल मौजूदा प्रयासों से वह काफी संतुष्ट हैं.

वहीं मनोरमा चौरसिया का मानना है कि महिलाओं के लिए सुरक्षा तो हुई है. आराम से वह घूम टहल सकती हैं. उन्होंने कहा कि लेकिन इस दौरान कुछ शोहदें फब्तियां कसते हैं और गलत तरीके से व्यवहार करते हैं. इसके लिए उन्होंने सामाजिक रूप से परिवर्तन और जागरूकता लाने की बात कही.

इन सब बातों से एक बात तो साफ है कि महिला सुरक्षा के सरकारी प्रयत्न तो हो रहे हैं, लेकिन इस पर सबसे ज्यादा सामाजिक जागरूकता लाने की आवश्यकता है. राजनीतिक दल और सरकारें इस पर भी अमल करें तो ज्यादा अच्छा है.

चुनावी विमर्श के दौरान महिला सुरक्षा के मुद्दे बहुत ऊर्जा और तेजी के साथ उठाए जाते हैं. इस पर थोड़ा बहुत दिखावे के रूप में कार्य भी किया जाता है, लेकिन पुख्ता इंतजाम की तरफ और स्थाई निदान की ओर कम पहुंच पाते हैं . इसकी वजह कुछ भी हो, लेकिन महिलाओं की सुरक्षा को लेकर किए गए वादों को प्रतिबद्धता के साथ पूरा करने की नितांत आवश्यकता है. यदि आधी आबादी असुरक्षित महसूस करेगी तो राष्ट्र और समाज का विकास अधूरा रह जाएगा.

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