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SPECIAL: मोटी फीस वाली निजी स्कूलों को छोड़ा पीछे, यहां सरकारी स्कूल की बेटियां अव्वल

एक तरफ निजी शिक्षण संस्थाएं स्मार्ट क्लासेस तक पहुंच गई हैं, वहीं दूसरी ओर सरकारी स्कूलों में बैठने की व्यवस्था और पर्याप्त शिक्षक ही नहीं हैं. ऐसे माहौल में भी पढ़ाई कर सरकारी स्कूलों की बेटियां निजी स्कूल के छात्र-छात्राओं से आगे निकल गई.

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निजी स्कूलों को पछाड़ा

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Published : Aug 25, 2020, 9:44 PM IST

श्रीगंगानगर.देश में सरकारी स्कूल के मुकाबले निजी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर मानी जाती है. लेकिन कुछ कर गुजरने का इरादा हो तो इंसान विपरीत परिस्थितियों में भी बेहतर परिणाम दे जाता है. जब देश में चारों तरफ शिक्षा के निजीकरण की बयार है. ऐसे में सरकारी स्कूल की बेटियां अपनी मेहनत और लगन से ना केवल अपने परिजनों व गुरुजनों का बल्कि सरकारी स्कूल का परचम भी लहरा रही हैं.

श्रीगंगानगर के मटका चौक सरकारी स्कूल की इन बेटियों ने जो परीक्षा परिणाम दिया है, इससे वो अभिभावक भी सोचने पर मजबूर हैं, जो मोटी फीस और ट्यूशन करवाकर अपने बच्चों को अधिक अंक लाने की दौड़ में शामिल करते हैं. मटका चौक स्कूल मे पढ़ने वाली आर्थिक रूप से कमजोर व गरीब घरों की इन बेटियों ने जो परचम लहराया है, वह अब सभी को नया संदेश दे रहा है. इसे बेटियों की लगन-मेहनत और स्कूल स्टाफ का समर्पण ही कहेंगे कि सरकारी स्कूल होने के बाद भी 12वीं कक्षा की बेटियों ने आर्ट विषय में 70 से 90 प्रतिशत अंक हासिल किए.

सरकारी स्कूल की बेटियां है अव्वल

शहर के सबसे बडे़ एक मात्र सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली इन बेटियों ने मोटी फीस लेकर पढ़ाई करवाने वाले निजी स्कूलों की पढ़ाई को भी पीछे छोड़ दिया है. इन बेटियों का परीक्षा परिणाम बताता है कि पढ़ने की इच्छा और स्कूल के तमाम शिक्षकों का जूनून है, जो इतना शानदार परीक्षा परिणाम इन गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर घरों की बेटियों ने दिया है.

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मटका चौक बालिका विद्यालय में दीवारों पर लिखे हुए स्लोगन बेटियों की हौसला अफजाई और आत्मविश्वास बढ़ाने वाले हैं. स्कूल प्रिंसिपल का बेटियों के प्रति हौसला ही है जो इन बेटियों को और बेहतर परिणाम देने के लिए मोटिवेट करता है. यहां सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली कक्षा 12वीं की नेहा ने आर्ट विषय में 86% अंक हासिल किए हैं. नेहा के इकोनॉमिक्स, इंग्लिश लिटरेचर, पब्लिक एक्ट सब्जेक्ट के साथ दिन रात एक कर गुरुजनों के सानिध्य में इतने नंबर आए हैं. नेहा कहती है कि सरकारी स्कूलों में भी आज अच्छी शिक्षा है, लेकिन उसे हासिल करने की जरूरत है.

इसी तरह लोचनी कहती है कि वह पिछले 7 साल से मटका चौक स्कूल में पढ़ाई कर रही है. वह कहती है कि किताबों से पढ़ाई करना बेहतर परिणाम देता है, तो वहीं कोचिंग ना लगना आपको और ज्यादा मजबूत बनाता है. लोचनी की घर की आर्थिक स्थिति ज्यादा मजबूत नहीं है, पिताजी टेलर हैं इसलिए घर का खर्चा चल जाता है. ऐसे ही छात्रा पायल वर्मा आर्ट विषय में 79% अंक हासिल होने से काफी खुश है. वह कहती है कि पढ़ने वाला बच्चा सरकारी स्कूलों में भी पढ़ कर अच्छा कर सकता है.

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वहीं हेमलता कहती है कि सरकारी स्कूल में पढ़ कर उसने कक्षा 12 में करीब 87% अंक हासिल किए है. इन बेटियों ने अध्यापकों के सहयोग से बेहतर पढ़ाई और परिणाम दिया है. घर की आर्थिक स्थिति के बारे में वह कहती है कि परिवार पूरा बिखरा हुआ है. तीन भाई बहनों में मम्मी के पास अलग रहता है तो हम दो भाई-बहन दादी के पास रहते हैं.

सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली इन बेटियों का परीक्षा परिणाम देखकर हर कोई बता सकता है कि अगर हमारे समाज के लोग सरकारी स्कूलों में ही बच्चों को पढ़ाने लग जाए तो निश्चित तौर पर पढ़ाई के साथ-साथ ऐसे स्कूलों में संस्कार भी मिलेंगे जो फिलहाल वर्तमान पीढ़ी के लिए अत्यधिक जरूरी है.

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