सीकर. प्रदेश के सरकारी स्कूलों की हालत किसी से छिपी नहीं है. खास तौर पर दूरदराज के गांव में बने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में सुविधाओं टोटा रहता है. काफी स्कूल तो ऐसे हैं जहां बच्चों की बैठने की व्यवस्था ठीक नहीं है, पीने के पानी का भी कोई इंतजाम नहीं रहता है. मौजूदा दौर में सरकारी स्कूलों में असुविधाओं की वजह से ही बच्चों का दाखिला कम हो रहा है.
लोग भी सरकारी स्कूलों बच्चों को पढ़ाना नहीं चाह रहे हैं. ऐसे में सीकर का एक सरकारी स्कूल नजीर बन रहा है. इस स्कूल को नजीर बनाने में सबसे बड़ा योगदान है यहां की एक कर्मठ शिक्षिका का, जिसने अपने वेतन के पैसों से यहां तमाम व्यवस्थाएं ही बढ़ाकर स्कूल की काया पलट कर दी.
हम बात कर रहे हैं सीकर जिले की धोद पंचायत समिति में स्थित माजीपुरा गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय की. कुछ साल पहले की बात करें तो स्कूल में सुविधाओं का अभाव था और हालात ये थे कि स्कूल बंद होने के कगार पर था.
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एक बार तो अव्यवस्था पर नाराज ग्रामीणों ने स्कूल में तालाबंदी भी कर दी थी. काफी संघर्ष के बाद स्कूल उच्च प्राथमिक स्तर पर क्रमोन्नत हुआ और नवनियुक्त शिक्षिका अनीता चौधरी को यहां पर भेजा गया. अनीता के मुताबिक उन्होंने पहले दिन ही ठान लिया था कि वह इस स्कूल का कायापलट करेंगी और बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार लाने का पूरा प्रयास करेंगी.
स्कूल में जॉइनिंग के तुरंत बाद से ही अनीता ने अपने वेतन का लगभग 90% हिस्सा स्कूल पर ही खर्च करना शुरू कर दिया था. स्कूल में बच्चों के लिए फर्नीचर, पीने के पानी की व्यवस्था और प्रार्थना स्थल के लिए बड़ा टीन शेड लगवाया. पिछले 3 साल में अनीता इस स्कूल में खुद के वेतन का लगभग 7 लाख रुपए खर्च कर चुकी हैं. बताती हैं कि अपने वेतन से केवल इतना ही पैसा अपने पास रखती हैं जिससे उनके आने-जाने का खर्च निकल जाए, बाकी पैसे स्कूल के विकास में लगा दे रही है.