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अब पेट्रोलिंग के लिए नहीं चलना पड़ेगा पैदल, पाली में इंजीनियरों ने बनाई ट्रैक बाइसाइकिल

पाली के मारवाड़ जंक्शन रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग की टीम ने ट्रैक बाइसाइकिल का निर्माण किया है. जिसका सफल ट्रायल भी किया गया है. रेलवे अधिकारियों का मानना है कि उच्च अधिकारियों से हरी झंडी मिलने के बाद यह उपकरण रेलवे पेट्रोलिंग के लिए वरदान साबित हो सकती है.

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रेलवे ट्रेक पर बाइसाइकिल दौड़ाकर पेट्रोलिंग करते नजर आएंगे ट्रैकमैन

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Published : Jul 30, 2020, 5:33 PM IST

मारवाड़ जंक्शन (पाली).एक बहुप्रचलित मुहावरा है 'आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है'. इसी मुहावरे का सार्थक प्रयोग मारवाड़ जंक्शन रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों ने रेलवे ट्रैक पर पेट्रोलिंग में हो रही परेशानियों को कम करने के लिए किए प्रयास में किया है. जिनकी मेहनत अब रंग लाती नजर आ रही है.

रेलवे ट्रेक पर बाइसाइकिल दौड़ाकर पेट्रोलिंग करते नजर आएंगे ट्रैकमैन

बता दें कि बरसात, गर्मी और सर्दी में रेलवे ट्रेक की देखभाल हेतु नियुक्त रेलवे ट्रैकमैन को करीब 16 से 20 किमी पैदल पेट्रोलिंग करनी पड़ती है. जिसमें कई तरह की बाधाएं उत्पन होती हैं. कई बार रेलवे ट्रैक तकनीकी खराबी की सूचना पर रास्ते के अभाव में वहां पहुंचने में घंटों लग जाते हैं. इसी समस्या से निजात दिलाने के लिए इंजीनियरिंग विभाग के एक बड़े अधिकारी के दिमाग में आया कि क्यों ना ट्रैक बाइसाइकिल का निर्माण किया जाए. इसके बाद उन्होंने अपने अधीनस्थ अधिकारियों को इसका निर्माण करने को कहा.

करीब 15 दिन की मेहनत के बाद काफी कम लागत में ही रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग की टीम ने ट्रैक बाइसाइकिल का निर्माण कर लिया. जिसका सफल ट्रायल भी किया गया. रेलवे अधिकारियों का मानना है कि उच्च अधिकारियों से हरी झंडी मिलने के बाद यह उपकरण रेलवे पेट्रोलिंग के लिए वरदान साबित हो सकती है.

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4 अधिकारियों की मेहनत का नतीजा ट्रायल में निकला सफल...

ट्रैक बाइसाइकिल के निर्माण का आइडिया अजमेर पश्चिम के वरिष्ठ मंडल इंजीनियर पंकज सोइन के माइंड में आया था. इसके बाद उन्होंने सहायक मंडल इंजीनियर रेखराज मीणा से इस बाइसाइकिल को बनाने के बारे में प्लान के बारे में बताया. फिर क्या था मीणा की टीम के सीनियर सेक्शन इंजीनियर रेल पथ सोजत अशोक गुप्ता और सीनियर सेक्शन इंजीनियर मारवाड़ जंक्शन दिनेश नंगलिया इसे बनाने के काम में जुट गए.

इसके लिए उन्होंने ट्राली मैन रमेश गुर्जर, रणजीत और अन्य साथियों की मदद ली. लगभग 15 दिन में यह ट्रेक बाइसाइकिल बनकर तैयार हो गई. जिसके बाद अधिकारियों के निर्देशन में मारवाड़ जंक्शन से धारेश्वर स्टेशन के बीच इस बाइसाइकिल का ट्रायल भी लिया गया जो सफल साबित हुआ. ट्रायल की सफलता को देख अधिकारी भी गदगद नजर आए.

बारिश के मौसम में रास्ते हो जाते थे बंद...

गौरतलब है कि नदी नालों के बहाव और खराब रास्तों के चलते मारवाड़ जंक्शन से भिमालिया के बीच में कई जगह ट्रेक में खराबी होने पर सूचना मिलने के बाद इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों और ट्रैकमैन को घटनास्थल पर पहुंचने में कई घंटे लग जाते थे. वहीं अब इस ट्रैक बाइसाइकिल से घटनास्थल पर आसानी से और कम समय में पहुंचा जा सकेगा. साथ ही पेट्रोलिंग में भी समय की बचत होगी. वहीं इसकी बनावट इस तरह है कि रेलवे ट्रेक पर बारीक खामियां भी पकड़ में आ पाएंगी.

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विभागीय जानकारी के अनुसार एक ट्रैक बाइसाइकिल के निर्माण में औसत लागत करीब पांच हजार रुपए ही आ रही है. वहीं इस उपकरण का वजन भी इतना कम है कि पेट्रोलिंग के समय सामने या पीछे से ट्रेन आने की सूचना पर एक ही व्यक्ति इस बाइसाइकिल को ट्रैक से उठाकर साइड में रख सकता है. जिससे पेट्रोलिंग करने वाले कर्मचारी को काफी राहत मिलेगी.

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