पाली. डोटासरा के 'नाथी का बाड़ा' बयान के खिलाफ कर्मचारियों ने रजस्थान में प्रदर्शन किया. कर्मचारियों ने डोटासरा का पुतला फूंका और जमकर नारेबाजी भी की थी. ईटीवी भारत आपको बताना चाहता है कि शिक्षा मंत्री ने जिस नाथी के बाड़े की बात की है, वह पाली जिले के रोहट उपखंड क्षेत्र के भांगेसर गांव में है. जिस प्रकार से इस शब्द की उपमा बनाई गई है, वैसे इस शब्द का अर्थ नहीं है. असल में नाथी का बाड़ा जोधपुर रियासत काल से दानदाताओं के लिए माना जाता है. बताया जाता है कि यहां नाथी मां के रूप में प्रसिद्ध हुई महिला ने अपने घर आए हर व्यक्ति की मदद करती थी.
स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार नाथी बाई के जन्म का इतिहास 150 से 200 साल पुराना है. उनका पैतृक गांव और रोहट तहसील का भांगेसर गांव है. उनका परिवार आज भी इस गांव में रहता है. रियासत काल में बना नाथी का बाड़ा यानी मकान के जीर्ण-शीर्ण होने के बाद उनके परिवार के सदस्यों ने अब उसे नया रूप देकर निखार दिया है. मकान के प्रवेश द्वार पर ही पत्थर पर उनका नाम लिखा हुआ है.
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जिस गली में मकान है गली के शुरूआत होते ही नाथी मां द्वारा पुत्री की शादी में व्रत पालन के दौरान निर्मित कराया गया चबूतरा आज भी विद्यमान है. उनका हाल ही में परिजनों द्वारा जीर्णोद्धार करवाया गया है. कहा जाता है कि नाथी बाई ने पुत्री के विवाह के दौरान अपने आसपास के साथ गांव को आमंत्रित किया था. जिसमें स्नेह भोज में घी की नदियां बहती थी. इतना उपयोग में लिया गया कि गांव के मुख्य द्वार तक जी की नाली गई थी.