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दिवाली विशेष: शहरों की भूली संस्कृति गांवों में आज भी जिंदा

इन दिनों लोग दिवाली की तैयारियां तेजी से कर रहे हैं. दिवाली के पहले धनतेरस पर महिलाओं ने घरों को मांडनों से सजाया है. यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है. महिलाओं का मानना है कि मांडने बनाने से घर में सुख समृद्धि बढ़ती है.

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Published : Oct 25, 2019, 5:32 PM IST

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पाली.जिले में दीपावली की रौनक नजर आने लगी है. धनतेरस पर शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपने कामकाज से मुक्त होकर घरों की सजा-सज्जा और तैयारी में लग गए हैं. शहरों में जहां लोग अपने घरों को बिजली के रोशनी से साथ सजाने में लगे हुए हैं.

शहरों की भूली संस्कृति गांवों में आज भी जिंदा

वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में लोग आज भी अपनी संस्कृति को जिंदा रखे हुए है. यहां वो मांडना परंपरा का आज भी निर्वहन कर रहे हैं. लोग दिवाली से पहले घर को सजाने के लिए गोबर से आंगन का लेप करके उस पर मांडने बनाते हैं.

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परंपरा के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में धनतेरस पर महिलाएं अपने घर के शुद्धिकरण के लिए सुबह जल्दी उठकर गोबर और मिट्टी से अपने घरों के आंगन को तैयार करती है. आंगन को तैयार करने के बाद इसमें चूने से अलग-अलग तरह की कलाकृतियां बनाई जाती हैं, जिन्हें मांडना कहा जाता है. ग्रामीणों का मानना है कि इससे घर शुद्ध रहता है. त्योहारों के समय मांडने बनाना परंपरा से जुड़ा हुआ है. लेकिन धीरे-धीरे ईटों के घरों बनने से इस परंपरा का अंत होता जा रहा है.

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