पाली.पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़े बांध और मगरमच्छ की सबसे बड़ी सेंचुरी 'जवाई बांध' अब अपनी पहचान खोता जा रहा है. इस बांध में हजारों की संख्या में मगरमच्छ रहते हैं. जो इसकी पहचान हैं. लेकिन इसकी पहचान बने मगरमच्छों की जान अब आफत में बनी हुई है. हर सप्ताह किसी ना किसी मगरमच्छ की मौत हो रही है. इस मौत के पीछे की सबसे बड़ी वजह बांध में इंसानी दखल है. बांध का दायरा बड़ा होने से वन विभाग को भी मगरमच्छ के शव कंकाल के रूप में ही मिलते हैं.
3 महीने में 9 मगरमच्छों की हो चुकी है मौत
पिछले 3 माह की बात करें तो जवाई बांध में कई कारणों से 9 से ज्यादा मगरमच्छों की मौत हो चुकी है. हालांकि यह सरकारी आंकड़ा है, जो केवल वन विभाग को मिले हैं. लेकिन मौत का आंकड़ा इससे भी ज्यादा हो सकता है. इस बांध में करीब एक हजार से ज्यादा मगरमच्छ रहते हैं. हर सप्ताह मगरमच्छ के शव मिलने के बाद अब वन विभाग भी चिंतित है.
बता दें कि पिछले 3 महीने में जवाई बांध के कई क्षेत्रों में मगरमच्छ के शव और कंकाल मिले हैं. इसके चलते वन प्रेमियों में खासा आक्रोश देखने को मिल रहा है. इधर, वन विभाग ने भी इस संबंध में सख्ती बरतना शुरू कर दिया गया है. हालांकि, गर्मी के बाद से ही जवाई बांध में पानी कम होने के कारण अब मगरमच्छों का दायरा कम होता जा रहा है.
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करीब एक हजार से ज्यादा मगरमच्छ इस बांध में हैं. जिनका भोजन मछली है. इस बांध में मछली की अधिकता होने के कारण मत्स्य विभाग की ओर से यहां पर बड़े स्तर पर ठेका भी जारी किया गया है. यहां मछली पकड़ने के लिए अक्सर जाल बिछाए जाते हैं. इन जालों में कई बार मगरमच्छ भी फंस जाते हैं. ऐसे में मगरमच्छों से जान के खतरे को देखते हुए शिकारी जाल को वहीं छोड़कर भाग जाते हैं. वहीं कुछ दिनों बाद मगरमच्छों की जाल में फंसे रहने से मौत हो जाती है.