नागौर. स्वाइन फ्लू से हुई मौतों के मामले में नागौर का प्रदेश में आठवां नम्बर है. इस साल एक जनवरी से अब तक जिले के आठ लोगों की इस गंभीर बीमारी ने जान ले ली. वहीं 66 मरीज स्वाइन फ्लू पॉजिटिव पाए गए हैं.
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुकुमार कश्यप का दावा है कि जब कोई मरीज स्वाइन फ्लू पॉजिटिव पाया जाता है तो उसके घरों के आसपास सर्वे करते हैं. परिजनों और आसपास के लोगों को भी टेमीफ्लू टैबलेट दी जाती है. इसकी पर्याप्त मात्रा नागौर में उपलब्ध बताई जा रही है. इन तमाम प्रयासों के बावजूद जिले में इस गंभीर बीमारी का बढ़ता ग्राफ लोगों में चिंता का कारण बना हुआ है.
इस साल नागौर में स्वाइन फ्लू से पहली मौत 6 जनवरी को हुई. मेड़ता इलाके की 22 वर्षीय युवती इस बीमारी का शिकार बनी. इसके बाद जनवरी में ही माडपुरा की युवती पूजा, जायल के नरसीराम और आकला की शांति की भी स्वाइन फ्लू के कारण मौत हो गई। जबकि फरवरी में सथेरण की गुड्डी, सांडिला की बाऊ देवी, टांकला के चंदाराम और हरसौर की विमला ने भी इसी बीमारी के चलते दम तोड़ा.
स्वाइन फ्लू के कारण जान गंवाने वाले टांकला के चंदाराम के भाई उगा राम का कहना है कि पहले नागौर में निजी अस्पताल में उपचार करवाया. फिर डॉक्टरों ने जोधपुर रैफर कर दिया. लेकिन उसकी जान नहीं बच पाई. इलाज पर करीब 40 हजार रुपए खर्च हुए. चंदाराम खेती कर परिवार का पेट पालता था. उसका बीमा भी नहीं था. उनका कहना है कि सरकार से भी कोई सहायता नहीं मिली है. चंदाराम के परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटी और एक बेटा है. दूसरे भाई भैरा राम का कहना है कि चंदाराम की बीमारी का पता चलने के बाद डॉक्टर उनकी ढाणी में सर्वे करने आए और सभी परिजनों की जांच कर दवा भी दी.
इन जिलों में स्वाइन फ्लू के कारण हुई नागौर से ज्यादा मौतें
जोधपुर में स्वाइन फ्लू से सबसे ज्यादा 32 मौतें हुई हैं. बीकानेर में 9, चुरू में 10, बाड़मेर में 14, कोटा में 11, उदयपुर में 10 लोगों की इस बीमारी से मौत हुई है. जबकि जयपुर जिले में भी नागौर के बराबर 8 लोगों की जान इस बीमारी ने ली है.