कोटा में बनकर खड़े हो गए 3800 हॉस्टल. कोटा.शिक्षा नगरी कोटा में कोचिंग के लिए देश भर से पढ़ाई करने आने वाले बच्चों के लिए सिंगल रूम कल्चर बना हुआ है. ऐसे में यह बच्चे या तो घरों में बने सेपरेट रूम या हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करते हैं. ऐसे में इन बच्चों के लिए हॉस्टल लगातार बनते ही जा रहे हैं. बीते 1 साल में करीब 300 नए हॉस्टल बनकर तैयार हो गए हैं. ऐसे में पुराने हॉस्टल मिलाकर अब संख्या 3800 के आसपास हो गई है. जिनमें पहले जहां पर 1.45 लाख सिंगल रूम हुआ करते थे. वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर 1.65 लाख हो गई है. अगले साल तक 200 हॉस्टल और बनकर तैयार हो जाएंगे. जिसके बाद कोटा में सिंगल रूम की संख्या 1.8 लाख हो जाएगी. हालांकि इस बार कोटा के कुछ इलाकों में हॉस्टलों में रूम खाली हैं. ऐसे में मालिकों को इस बात का संशय भी है कि यह हॉस्टल भर पाएंगे या नहीं.
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अप्रैल में बढ़ा किराया अब हुआ कमः इस बार मेडिकल एंट्रेंस की परीक्षा नीट यूजी 7 मई को थी. इसी तरह से इंजीनियरिंग एंट्रेंस की जेईई एडवांस्ड 4 जून को आयोजित हुई थी. जबकि नए बच्चों के लिए विद्यार्थी मार्च और अप्रैल में ही बोर्ड की परीक्षाएं खत्म होने के बाद आ गए थे. ऐसे में पिछले बच्चे भी नहीं गए थे और नए बच्चे भी आ रहे थे. इस कारण सीजन पीक पर पहुंच गया था. इसका फायदा कई हॉस्टल संचालकों ने उठाया और उन्होंने दाम बढ़ा दिए थे. यह हॉस्टल संचालकों की मनमानी ही थी. इसी के चलते बड़ी संख्या में बच्चे वापस भी अपने शहरों को लौट गए हैं और उन्होंने अपने शहर के आसपास के ही सेंटर पर प्रवेश ले लिया है.
30 फीसद गिर गया किरायाः कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल का कहना है कि मार्च-अप्रैल में बढ़ती स्टूडेंट की भीड़ को देखकर हॉस्टल का किराया बढ़ गया था. दाम बढ़ाकर करीब 30 फीसद ज्यादा कर दिए थे. ऐसे में उस समय नॉर्मल हॉस्टल्स के दाम 13 से 18 हजार रुपए प्रतिमाह औसतन पहुंच गए थे. इसके बाद जब नीट यूजी और एडवांस्ड की परीक्षा खत्म हुई. इसके बाद बच्चे वापस लौट गए और हॉस्टल खाली हो गए. रिपीटर्स बैच के बच्चों की संख्या कम रह रही है. नए एडमिशन अब कम हो रहे हैं. ऐसे में अचानक से किराया भी धड़ाम से नीचे गिर गया है. इसमें करीब 30 फीसदी की गिरावट आई है. अब वर्तमान में 9 से लेकर 15 हजार रुपए तक रूम मिल रहा है.
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50 फीसदी से ज्यादा कमरे खालीः हॉस्टल संचालक सुनील कटारिया का कहना है कि इस बार नए सत्र में 2023-24 में बच्चों का रुझान काफी कम है. बाहर शहरों में अभी काफी कोचिंग खुल गई है. इसके चलते यहां लगता है कि कोटा में बच्चा कम आएगा. हॉस्टल रूम में काफी बढ़ोतरी हुई है. 25 से 30 हजार रूम नए बन गए हैं. जबकि बच्चों की संख्या उतनी ही है, लेकिन नए रूम बढ़ने की वजह से भी काफी समस्या है. हॉस्टल खाली रह गए हैं. स्थिति यह है कि 50 फीसदी क्षमता अभी पूरी हुई है. लैंडमार्क के इलाके की बात की जाए तो वहां भी 60 पर्सेंट ही क्षमता फुल है. कोरल में तो भी 50 फीसदी आंकड़ा भी नहीं छुआ है. अन्य इलाकों में राजीव गांधी व इंद्रप्रस्थ एरिया की भी स्थिति ठीक कही जा सकती है. जवाहर नगर में भी आधी से ज्यादा क्षमता खाली है.
नए हॉस्टल हैं पूरी तरह से खालीःकोटा शहर के कोरल पार्क, राजीव गांधी स्पेशल, ऑक्सीजोन, लैंडमार्क, ओल्ड राजीव गांधी नगर, जवाहर नगर, इंडस्ट्रियल एरिया, इलेक्ट्रॉनिक कॉम्प्लेक्स व पारिजात कॉलोनी में बड़ी संख्या में हॉस्टल बन रहे हैं. इन इलाकों में अधिकांश हॉस्टल बनकर तैयार हो गए हैं. यहां पर ही सर्वाधिक परेशानी नए हॉस्टल मालिकों को हो रही है, क्योंकि उनका निर्माण कार्य पूरा तो हो गया है, लेकिन पूरी तरह से हॉस्टल खाली पड़े हुए हैं. जहां पर महज 3 से 10 फीसदी ही ऑक्युपेंसी ही इन हॉस्टल में है. हॉस्टल संचालक भुवनेश नागर का कहना है कि 2 महीने पहले हमने हॉस्टल शुरू किया था. उसमें 80 रूम हैं. महज 10 परसेंट से ज्यादा भी हम नहीं भर पाए हैं. हमारें 90 फीसदी रूम खाली है.
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संचालक बोले टूट रही है उम्मीदः हॉस्टल संचालक भुवनेश नागर का कहना है कि आगे उम्मीद यह है कि जिस हिसाब से मार्केट का फ्लो दिख रहा है. थोड़ी सी हिम्मत इस बार टूट रही है. डर लग रहा है कि क्या होगा. आसपास कई सारे हॉस्टल नए बन रहे हैं, लेकिन पिछले साल मार्केट स्थिति को देखते हुए काफी तेजी से लोगों ने काम शुरू करवाया था कि 1 अप्रैल से बच्चे आएंगे. सभी ने काफी जल्दी और बहुत अच्छा हॉस्टल बना लिया है. शायद इस एरिया में नायाब हॉस्टल बने हैं. ऐसे कोटा के किसी एरिया में नहीं बने हैं. उसके बावजूद भी इस एरिया में बच्चों का रुझान काफी कम है.
पीजी में पहुंच गए हैं बड़ी संख्या में बच्चेः हॉस्टल का किराए ज्यादा होने पर बच्चे अफोर्ड नहीं कर पा रहे थे. ऐसे बच्चे कोचिंग एरिया के नजदीकी कॉलोनियों के पीजी में शिफ्ट हो गए हैं. जहां पर किराया कम था. इन बच्चों को वहां पर अधिकतम किराया 5 से 6 हजार रुपए ही चुकाना पड़ रहा है. इस कारण शहर के कई इलाकों में हॉस्टल में ऑक्युपेंसी इस बार नहीं बन पाई है. इसके अलावा कुछ बच्चे डबल या ट्रिपल शेयरिंग में फ्लैट या फिर मकान किराए पर लेकर रह रहे हैं. इनमें कुछ बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने पहले हॉस्टल में रूम किराए पर ले लिया था. इसके बाद आसपास के जब इलाके को समझने लगे, तब नजदीकी कॉलोनियों में जाकर पीजी में मकान कमरे किराए पर ले लिए हैं.
वन और टू बीएचके फ्लैट भी बने हैं चुनौतीः हॉस्टल इंडस्ट्री में इस बार वन और टू बीएचके के रूम भी चुनौती बन गए हैं. कोटा में वर्तमान में अपने बच्चों को पढ़ने भेजने वाले पेरेंट्स भी सतर्कता बरत रहे हैं. वह या तो खुद बच्चों के साथ रह रहे हैं या फिर किसी परिचित को भी कोटा में ही रख रहे हैं. ऐसे में 1 या 2 बीएचके का फ्लैट किराए पर लेकर बच्चों को रख रहे हैं. इस कारण हॉस्टल के रूम भी खाली रह रहे हैं. कोचिंग एरिया के आसपास इस तरह के बड़ी संख्या में मल्टी स्टोरी बिल्डिंग खड़ी हो रही है. जहां पर इस तरह की फ्लैट की सुविधा है.
हॉस्टल संचालकों और लीज धारकों में हो रहे विवादः कोटा शहर के अलग-अलग हिस्सों में बने हॉस्टल का संचालन अधिकांश जगह पर मालिक कर रहे हैं. कई मालिकों ने इन लीज पर भी दिया हुआ है. ऐसे में इस बार हॉस्टल मालिक और लीज धारक के बीच विवाद के मामले भी सामने आ रहे हैं. हालात ऐसे हो गए हैं कि लाखों रुपए एडवांस लीज धारकों ने हॉस्टल मालिकों को दे दिए थे, लेकिन इस बार हॉस्टल भर नहीं पा रहे हैं. हॉस्टल के रूम की संख्या भी बढ़ गई है. इसके चलते कंपटीशन बढ़ गया है. दूसरी तरफ किराया ज्यादा होने से यह समस्या आ रही है. ऐसे में अब लीज धारक राशि कम करने की बात कह रहे हैं. कई मालिक लीज धारक की बात से सहमत भी हो रहे हैं, लेकिन कई असहमत हैं. जिनके कारण विवाद हो रहे है.