सांगोद (कोटा). सांगोद की उजाड़ नदी में इस बार जो बाढ़ आई है उससे सब तबाह होता जा रहा है. कई परिवार ऐसे हैं जिनका सब कुछ इस बाढ़ में बह गया. हालांकि प्रशासन ऐसे लोगों का सर्वे करने में जुटा है पर उनको मदद कब तक मिल पाती है ये तो आने वाला समय बताएगा.
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ईटीवी भारत भी ऐसे परिवारों बीच उनकी समस्याए जानने के लिए पहुंचा. जब बाढ़ के हालातों की जानकारी ली तो सामने आया कि कई परिवार ऐसे हैं जिनके पास खाने के लिए कुछ नहीं बचा. घर में जो भी अनाज रखा था सब कुछ बाढ़ में बह गया. कई मकानों में अब तक चूल्हा तक नहीं जला. कई कच्चे मकान गिर गए. जिससे लोगों के पास सिर ढंकने के लिए छत तक नहीं बची है. अब ये लोग दूसरे के भरोसे बैठे हैं. दाने-दाने को मोहताज हो रहे हैं. इन लोगों में महिलाएं, बुजुर्ग और छोटे बच्चे भी हैं. जिनका पेट भर पाना इस वक्त काफी मुश्किल हो रहा है. बाढ़ पीड़ित अब सांगोद की गौण मंडी में ही सिर छुपा कर बैठे हैं.
सांगोद में बाढ़ की तबाही का मंजर कुछ समाज सेवी संस्थाए और राजनेतिक लोगों की ओर से खाना खिलाया जा रहा है और खाने के पैकेट भी बांटे जा रहे हैं. जिससे लोगों का पेट तो भर जा रहा है, मगर जिनका इस बाढ़ में सब कुछ तबाह हो गया उनको इस समस्या से उबरने में अभी समय लगेगा. पालिका प्रशासन की ओर से बाढ़ के कारण भरे पानी की निकासी के लिए भरपूर प्रयास किये जा रहे हैं.
बता दें कि सांगोद जहां पर भीम सागर बांध के 5 गेट खोलने के बाद जो बाढ़ आई उससे लोगों का आर्थिक नुकसान हुआ है. बाढ़ के दौरान जो तबाही पूरे कस्बे ने देखी उसकी डरावनी तस्वीरें बाढ़ उतरने के बाद सांगोद में दिखाई दे रही है.
क्या कहा बाढ़ पीड़ितों नेः
कोडिया के चौक निवासी जगदीश राणा ने बताया कि पूरे परिवार के लोग घर में सोए हुए थे अचानक पानी की आवाज सुनकर बाहर निकले लो घर के बाहर पानी ही पानी था. समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे क्या ना करे. जैसे-तैसे परिवार के लोगों को बाहर निकाल कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया. जिसके बाद पानी के तेज बहाव से मकान धराशायी हो गया. गनीमत ये रही कि उस समय मकान में कोई नहीं था.
मेरे पालतू जानवर बह गए. दहेज का पूरा समान और इलेक्ट्रिक उपकरण भी बाढ़ में बह गए. लाखों रुपए का नुकसान हुआ. कुछ राजनितिक लोगों द्वारा लंगर चलाये गए है वहां पर खाना खा कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. राणा ने बताया कि सांगोद विधायक भरत सिंह और नगर पालिका चेयरमैन भी लोगों से इस मिलने तक नही पहुंचे.
महावीर प्रसाद ने बताया कि मेरे पूरा मकान ढह गया. खाने कमाने के लिए लाए सारे सामान बह गए. हजारों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है. घर में रखा सारा अनाज बाढ़ में बह गया.
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सांगोद निवासी पुष्पा बाई ने बताया कि घर में कुछ नहीं बचा. भूखे मरने की नौबत आ रही है. घर मे रखे चांदी के जेवरात बह गए. हमारी टीम जहां-जहां भी पहुंची वहां सबकी जुबान पर एक ही बात थी की सब कुछ बर्बाद हो गया. न खाने को कुछ बचा न रहने के लिए सिर पर छत बची. पालतू जानवर भी भूखे प्यासे तड़प रहे हैं, लेकिन इनकी सुध लेने वाला यहां कोई नजर नहीं आया.